ग़ज़ल
ग़ज़ल- 1212 212 122 1212 212 122
अरकान- मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
वतन का खाकर जवाँ हुए हैं वतन की खातिर कटेगी गर्दन।
है कर्ज हम पर वतन का जितना अदा करेंगे लुटा के जाँ तन।।
हर एक क़तरा निचोड़ डालो बदल दो रंगत वतन की यारो।
जहाँ गिरेगा लहू हमारा वहीं उगेगा हसीन गुलशन।।
सभी ने हम पर किए हैं हमले किसी ने खुलकर किसी ने मिलकर।
खिला है जब-जब चमन हमारा हुए हैं इसके हजारो दुश्मन।।
दिखाएं किसको ये ज़ख्म दिल के खड़े हैं क़ातिल बदल के चेहरे।
जिन्होंने लूटा था आबरू को वही बने हैं अज़ीज़े दुल्हन।।
हमारा बाज़ू कटा जो तन से वो तेग़ लेकर हमी पे झपटा।
समझ न आया 'निज़ाम' हमको अजब हक़ीकत हुई है रौशन।।
निज़ाम-फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत
मोबाइल नंबर- 6394332921 9198120525
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