कलम लाइव पत्रिका

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June 18, 2023

Unforgettable College Day

Introduction:


Chapter 1: The Event

The day finally arrived, and it exceeded all expectations. Describe the event or activity that made this day special in my college life. It could be a sports tournament, a cultural fest, an academic competition, or any other event that brought the entire college community together. Highlight the vibrant atmosphere, the preparations, and the collective energy that filled the air.


Chapter 2: Bonds and Connections

One of the most incredible aspects of college life is the opportunity to form lifelong friendships. Discuss the people you met and the connections you made on this particular day. Share stories of camaraderie, laughter, and shared experiences. Whether it was cheering for your team, participating in group activities, or engaging in heartfelt conversations, these moments fostered bonds that would last a lifetime.


Chapter 3: Personal Growth

College is not just about academics; it's a time of personal growth and self-discovery. Reflect on how this best day in your college life played a role in your personal development. Did you overcome any fears, take on new challenges, or discover hidden talents? Share your introspections and the lessons you learned from this experience.


Chapter 4: Memories That Last

As the day drew to a close, it left an indelible mark on your heart. Discuss the lasting impact this day had on your college life. Talk about the memories you made, the photographs you captured, and the stories you would go on to tell for years to come. Share any mementos or keepsakes that remind you of this special day.


Conclusion:

College life is a whirlwind of experiences, but there are certain days that shine brighter than others. The best day of your college/university life is a treasure that stays with you forever. It represents the culmination of countless friendships, personal growth, and memories that shape your journey. As you embark on your own college adventure, keep your heart open to the unexpected, and you too will discover a day that will forever hold a special place in your heart.


- Saurabh Kumar

Roll No- 22/1305

Subject- Digital communication

Course- Bcom (p)

Semester- IInd

June 18, 2023

Exploring the Mesmerizing Beauty of Jammu: A Traveler's Paradise

Introduction:

Welcome to the enchanting land of Jammu, nestled in the lap of the mighty Himalayas. With its picturesque landscapes, rich cultural heritage, and spiritual significance, Jammu offers an unforgettable experience for every traveler. Join us as we embark on a virtual journey through this captivating region of India.


The Majestic Vaishno Devi Shrine:

Jammu is renowned for the revered Vaishno Devi Shrine, one of the holiest pilgrimage sites in India. Situated atop the Trikuta Mountains, this shrine attracts millions of devotees every year. The challenging trek through scenic mountain trails adds to the spiritual adventure, making it a must-visit destination for those seeking solace and divine blessings.


Exploring the Royal Heritage of Jammu:

The city of Jammu, known as the "City of Temples," boasts a rich history and regal charm. Start your exploration with the grandeur of the historic Mubarak Mandi Palace, showcasing a fusion of Rajasthani, Mughal, and Gothic architectural styles. Visit the imposing Bahu Fort, housing the ancient Bawey Wali Mata Temple, and immerse yourself in the serenity of its surroundings.


A Paradise for Nature Lovers:

Jammu is blessed with breathtaking natural beauty that leaves visitors awestruck. The lush green meadows of Patnitop offer a refreshing escape from the hustle and bustle of city life. Embrace the tranquility of the cascading Chenani-Nashri Tunnel, a marvel of engineering, as you drive through the picturesque Jammu-Srinagar Highway. Explore the magical landscape of Sanasar, a hidden gem surrounded by towering Deodar trees and stunning lakes.


Discovering Serenity in Mansar Lake:

Located approximately 62 kilometers from Jammu, Mansar Lake is a haven of peace and tranquility. Surrounded by lush green hills, this beautiful lake is considered sacred and is associated with numerous legends. Take a leisurely walk along the lakeside, indulge in boating, or simply soak in the serene atmosphere while enjoying a picnic with loved ones.


Indulging in Local Cuisine:

No trip to Jammu is complete without savoring the delectable local cuisine. Treat your taste buds to the flavorsome Rajma Chawal (red kidney beans with rice), the aromatic Dogri-style cuisine, and the mouthwatering Kaladi Kulcha. Don't forget to sample the famous sund panjeeri, a traditional sweet delicacy that is both nutritious and delicious.


Conclusion:

Jammu, with its divine spirituality, regal heritage, and picturesque landscapes, offers a truly unforgettable travel experience. Whether you seek spiritual solace, connect with nature, or immerse yourself in the rich culture, Jammu has something to offer for every traveler. So pack your bags, embark on this journey, and create memories that will last a lifetime in this enchanting paradise.


- Saurabh kumar

May 08, 2022

मातृ_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं Happy mother day poem

 मातृ_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 


माँ  से बड़ के न मसीहा कोई देखा अपना
अपने बच्चों की ख़ुशी उसका है सपना अपना
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पोछने  को  नही  आता  यहाँ  कोई  आँसू
कौन  है  माँ  के  सिवाए  हमें  कहता  अपना
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देखता  तक  नही बेटा  वो  जो  साहब  हो कर
माँ  ने  औलाद  पे  घर - बार  लुटाया  अपना
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ये  घरौंदा  जो  बसाया  पसीने  से  उसने
परवरिश  में  माँ  ने  सब  कुछ  तो  लुटाया अपना
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बोल  दो  प्यार  से  तुम  भी  यूँ  कभी  बोले  हो
माँ  के  जैसा  न  मिलेगा  यहाँ  सच्चा  अपना
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माँ  भी  तकलीफों  को  सह  लेती  है  हँस हँस कर के
दर्द  में  माँ  के  अलावा  नही  दूजा  अपना
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रखकर  फ़ाक़ा  जिसने  दी  है  उड़ान  ये 'आकिब'
हूँ  माँ  के  आगे  मैं  भी  सर यूँ झुकाता  अपना
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✒️आकिब जावेद
स्वरचित/मौलिक
बाँदा,उत्तर प्रदेश
April 25, 2022

मिथिला संस्कृति से फलता फूलता बाबा नगरी देवघर Mithila Sanskriti or baba nagari devghar

 मिथिला संस्कृति से फलता फूलता बाबा नगरी देवघर

Baba nagari Dev ghar


संस्कृति से रोजगार जी हां मैं बात कर रहा हूँ बाबा नगरी देवघर की।यूं तो बाबा नगरी सावन मेले के लिए प्रसिद्ध रहा है।जहां देश विदेश के पर्यटक आते रहे हैं।विगत दो वर्षों का कोरोना काल और सूनसान मेले ने चारो ओर उदासी फैला रखी थी।लेकिन इन दिनो लगन और संस्कार की उमड़ती भीड ने यहां के स्थानीय लोगो के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला दी है।

ज्यादातर शादी, मुंडन और यज्ञोपवित संस्कार आजकल इस नगरी की शोभा बढा रहा है।यहां की 90%आबादी बाहर से आये लोगो पर आश्रित है।आजकल ज्यादातर लोग मिथिला से आकर यहां विभिन्न संस्कार कराते है उसी के फलस्वरूप यहां के लोगो का व्यवसाय फल फूल रहा है।

सुविधाओं की कमी और सरकारो की अव्यवस्था से जूझता यह पर्यटन स्थल गंदगी और बिजली की कमी झेलने को विवश है।मै बात कर रहा हूं यहां की अलौकिक शिवगंगा की जो एक भव्य और रमणीक स्थल है । विशाल शिवगंगा के चारो ओर घाटो पर फैले गंदगी आने वाले भविष्य के लिए अच्छे संकेत नही है।यहा का पानी जो कि शुद्ध माना जाता है आज गंदगी के कारण स्नान लायक नही रहा। स्थानीय प्रशासन की उदासीन नीति और लोगो में जागरूकता की कमी के कारण यह स्थल अब गंदगी से लैस है अगर यही हाल रहा तो भविष्य में यह श्रद्धालुओं के स्नान लायक नही रह पाएगा।

यहां शिवगंगा के किनारे चारो ओर फैले छोटे दुकानदार का कचरा और मूर्ति विर्सजन से यह जल प्रदूषित होती जा रही है जिसे रोकना लाजमी है।देवघर नगर निगम और यहां के प्रशासन की उदासीन रवैया इसके अलौकिक सुन्दरता को बचा सकते है यदि वे तत्पर रहेंगे।

जहां तक यहां के लोगो की रोजी रोटी का सवाल है वह पर्यटक पर निर्भर करता है विशेषकर मिथिला और कोशी क्षेत्र के लोग अपने बच्चो का प्रथम संस्कार यहीं आकर करते रहे हैं ।जिसके फलस्वरूप आज यह नगरी पुनः आबाद रहता है।

बिहार मिथिला की संस्कृति में यज्ञोपवित और मुंडन का संस्कार प्रायः सभी लोग करते है ।बाबानगरी में करने से बाबादर्शन के साथ कम खर्च में संस्कार हो जाता है यही कारण है लोग बडी मात्रा में यहां आते है और लगन मुहूर्त में यहा भीड़ देखने को मिलती है।

              

                                               आशुतोष 
                                            पटना बिहार 
April 21, 2022

महिला काव्य मंच mahila kavy manch वार्षिकोत्सव की रिपोर्ट

महिला काव्य मंच /Mahila kavya manch

महिला काव्य मंच (रजि.)उत्तर प्रदेश (मध्य )का वार्षिकोत्सव आज बाराबंकी स्थित मुंशी रघुनंदन प्रसाद स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय में आयोजित किया गया।

Mahila kavy mach 


कार्यक्रम में संस्था के संस्थापक श्री नरेश नाज जी स्वयं मौजूद रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता नियति गुप्ता जी ने की।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ग्लोबल प्रेसिडेंट नीतू राय जी सानिध्य प्राप्त हुआ व विशेष अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में आकर्षण का केंद्र रही पद्मश्री सम्मानित डॉ विद्या बिंदु सिंह जी।कार्यक्रम में लखनऊ के अतिरिक्त बाराबंकी, अयोध्या व रायबरेली इकाई के सदस्यों ने भी शिरकत की व काव्य पाठ किया।

महिला काव्य मंच lucknow


कार्यक्रम में डा रीना श्रीवास्तव,साधना मिश्रा, डॉ सुधा मिश्रा,स्नेहलता जी व रेखा गुप्ता ने काव्य पाठ किया।कार्यक्रम में आगे अर्चना पाल,डॉ अर्चना सिंह,डा पूनम सिंह,डा स्मिता श्रीवास्तव,आभा जी,सुश्री अंजू,बीना श्रीवास्तव व मनीषा श्रीवास्तव जी ने अपने काव्य पाठ से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।इसी क्रम ने डॉ कालिंदी पांडे, डॉ पूनम रानी भटनागर,प्रियंका बिष्ट व मध्य इकाई अध्यक्षा डॉ राजेश कुमारी जी ने काव्य धारा प्रवाहित की।सभी सम्मानित अतिथियों ने अपने वक्तव्य से कवयित्रियों का हौसला बढाया।अंत में कालेज की प्रचार्या व महासचिव (मकाम) डा उषा चौधरी जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

Mahila kavy paath


2020 का सर्वोत्तम जिला इकाई का खिताब लखनऊ को मिला।कार्यक्रम का संचालन किया गया लखनऊ व बाराबंकी इकाई की अध्यक्षों द्वारा।कार्यक्रम में उ. प्रदेश मध्य इकाई को सर्वश्रेष्ठ इकाई का सम्मान दिया गया तथा कवयित्रियों को प्रशस्ति पत्र देकर उनका हौसला बढाया गया।


April 06, 2022

हमीद कानपुरी के ग़ज़ल/ ghazal/jumlebaaz

 ग़ज़ल


झूठ  जुमले   के  सहारे   चल  रहे।
आसमां  भू   पर  उतारे   चल  रहे।

मंज़िलों का  कुछ नहीं उनको पता,
आज  बिन  सोचे  विचारे  चल रहे।

हर  तरफ़   है   ज़ह्र  आलूदा  हवा,
पर शजर पर   रोज़ आरे  चल रहे।
 
हमनवा को  जानते हरगिज़  नहीं,
साथ  लेकर  चाँद  तारे  चल  रहे।

है चरम पर  जीत  जाने  का जुनूं,
यूँ  अराजक  रोज़  नारे  चल  रहे।

हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर, छावनी,कानपुर-208004
April 06, 2022

निज़ाम-फतेहपुरी के ग़ज़ल/Nijam fatehpur ke ghazal

 दुआ- 212  212  212  212

अरकान- फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

मुझपे मौला करम की नज़र कीजिए।
अब दुवाओं  मे  मेरी  असर कीजिए।।

मैं हकीकत  में  कितना  गुनहगार हूँ।
मुझपे नज़रे  इनायत  मगर  कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।

आसरा है फक़त  तेरा  ही बस मुझे।
रहम कुछ तो मेरे हाल पर कीजिए।।

रात ग़म की  अंधेरी  ये कटती नहीं।
जल्द इसकी ख़ुदाया सहर कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।

अर्ज इतनी है या  रब मुझे बख्श दे।
जब मरूँ खुल्द में मेरा घर कीजिए।।

है निज़ाम इस जहाँ का फ़ना होंगे सब।
आगे आसान मौला  सफ़र कीजिए।।

अब इधर कीजिए या उधर कीजिए।
तेरा  बंदा  हूँ  चाहे  जिधर  कीजिए।।

निज़ाम-फतेहपुरी
ग्राम व पोस्ट मदोकीपुर
ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) भारत
6394332921 , 9198120525
April 06, 2022

गजलकार आकिब जावेद/ ग़ज़ल

 ग़ज़ल


वो  ग़मो  को  यूं  हवा  देते हैं
हम ख़ुशी को भी भुला देते हैं

मेरे हर राज़ से हैं वो वाकिफ़
इसलिए ही तो दग़ा देते हैं

जोड़ने की दिलों की ख्वाहिश में
हम  ग़मो  को भी भुला देते हैं

कम नहीं वो खुदा से भी यारो 
जो के बिछड़ो को मिला देते हैं

ज़ात  मज़हब की  सियासत में ही
वो हमें  खूब   लड़ा   देते   हैं

-आकिब जावेद

पता- कोऑपरेटिव बैंक के पीछे बिसंडा
पिन- 210203
मो-9506824464
April 06, 2022

जिगर मुरादाबादी*( जिगर जयन्ती 6 अप्रैल पर विशेष) Jigar muradabaadi

 जिगर मुरादाबादी*( जिगर जयन्ती 6 अप्रैल पर विशेष)

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20 वीं सदी के मशहूर उर्दू शायर और उर्दू गजल के नामवर हस्ताक्षरों में से एक जिगर मुरादबादी का जन्म 6 अप्रैल 1890 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में शायर पिता मौलाना अली 'नज़र' के घर में हुआ। शुरुआती तालीम तो उन्होने हासिल  कर ली लेकिन खराब सेहत और घरेलू परेशानियों के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर सके।ज़ाती शौक़ के चलते उन्होंने घर पर ही फ़ारसी की पढ़ाई पूरी की। उनके बचपन का नाम अली सिकंदर था। उनके पूर्वज मौलवी मुहम्मद समीअ़ दिल्ली निवासी थे और  शाहजहाँ  बादशाह के शिक्षक थे। लेकिन बादशाह की नाराजगी के चलते दिल्ली छोड़कर  मुरादाबाद जा बसे। ‘जिगर’ के दादा हाफ़िज़ मुहम्मदनूर ‘नूर’ साहब भो एक बड़े  शायर थे। 
जिगर मुरादाबादी को अपने दौर में बेमिसाल शोहरत  मिली।  उनकी शोहरत रंगारंग शख़्सियत, ग़ज़ल कहने के अलग ढंग एवं नग़मा-ओ-तरन्नुम की बदौलत थी।  उनकी नये ढंग की शायरी के चलते  मुल्क की शायरी का रंग ही बदल गया और बहुत से शायरों ने न सिर्फ़ उनके रंग-ए-कलाम की बल्कि तरन्नुम की भी नक़ल करने की कोशिश की। मैने की बात तो ये है कि जब जिगर साहब अपने तरन्नुम का अंदाज़ बदल देते तो उसकी भी नक़ल होने लगती। बहरहाल दूसरों से उनके शे’री अंदाज़ या सुरीली आवाज़ की नक़ल तो मुमकिन थी लेकिन उनकी शख़्सियत की नक़ल नामुमकिन थी। जिगर की शायरी असल में उनकी शख़्सियत का आईना थी। इसलिए जिगर, जिगर रहे, उनके समकालिकों में या बाद में भी कोई उनके रंग और तग़ज़्ज़ुल को नहीं पा सका।
किताबें --
दाग ए जिगर
दीवान ए जिगर
शोला ए तूर (1937)
आतिश ए गुल(1951)
साहित्य अकादमी एवार्ड(1958)

अश्आर

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं।


हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं।

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं।
कितना  हसीं गुनाह  किए जा  रहा हूँ मैं।

ये इश्क़  नहीं आसाँ  इतना ही  समझ  लीजे,
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।

हम ने सीने  से लगाया दिल न अपना बन सका,
मुस्कुरा कर  तुम ने देखा  दिल तुम्हारा हो गया।

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है।
सिमटे तो  दिल-ए-आशिक़  फैले तो  ज़माना है।

जिगर मुरादाबादी की ग़ज़लें

वो अदा-ए-दिलबरी  हो कि  नवा-ए-आशिक़ाना।
जो दिलों को फ़त्ह कर ले वही फ़ातेह-ए-ज़माना।

ये तिरा जमाल-ए-कामिल ये शबाब का ज़माना।
दिल-ए-दुश्मनाँ सलामत दिल-ए-दोस्ताँ निशाना।

कभी हुस्न की तबीअत न  बदल  सका  ज़माना।
वही नाज़-ए-बे-नियाज़ी वही शान-ए-ख़ुसरवाना।

मैं हूँ उस मक़ाम पर अब कि फ़िराक़ ओ वस्ल कैसे,
मिरा  इश्क़  भी  कहानी   तिरा  हुस्न   भी  फ़साना।

मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे,
मिरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना।

तिरे इश्क़ की करामत ये अगर नहीं तो क्या है,
कभी बे-अदब न गुज़रा मिरे पास से  ज़माना।

तिरी दूरी ओ हुज़ूरी का ये है अजीब  आलम,
अभी ज़िंदगी हक़ीक़त अभी ज़िंदगी फ़साना।

मिरे  हम-सफ़ीर  बुलबुल  मिरा   तेरा।  साथ ही क्या,
मैं ज़मीर-ए-दश्त-ओ-दरिया तू असीर-ए-आशियाना।

मैं वो साफ़ ही न कह दूँ जो है फ़र्क़ मुझ में तुझ में,
तिरा दर्द  दर्द-ए-तन्हा  मिरा ग़म।  ग़म-ए-ज़माना।

तिरे दिल के टूटने पर है किसी को नाज़ क्या क्या,
तुझे ऐ 'जिगर'  मुबारक  ये शिकस्त-ए-फ़ातेहाना
**************************************

इश्क़ को बे-नक़ाब होना था
आप अपना जवाब होना था

मस्त-ए-जाम-ए-शराब होना था।
बे-ख़ुद-ए-इज़्तिराब   होना   था।

तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं,
हाँ मुझी को  ख़राब   होना  था।

आओ मिल जाओ मुस्कुरा के गले,
हो   चुका  जो   इताब   होना   था

कूचा-ए-इश्क़ में निकल आया ,इ ुी
जिस को ख़ाना-ख़राब होना था डंइिइ

मस्त-ए-जाम-ए-शराब ख़ाक होते जब,
ग़र्क़ - ए-  जाम- ए- शराब   होना  था।

दिल कि जिस पर हैं नक़्श-ए-रंगा-रंग,
उस  को   सादा   किताब   होना।  था।

हम ने नाकामियों को ढूँड लिया ,
आख़िरश   कामयाब  होना  था।

हाए वो लम्हा-ए-सुकूँ कि जिसे ,
महशर-ए-इज़्तिराब   होना   था।

निगह-ए-यार ख़ुद तड़प उठती,
शर्त-ए-अव्वल ख़राब होना था।

क्यूँ न होता सितम भी बे-पायाँ ,
करम -ए- बे- हिसाब  होना  था।

क्यूँ  नज़र  हैरतों   में  डूब   गई
मौज-ए-सद-इज़्तिराब होना था।

हो चुका रोज़-ए-अव्वलीं ही 'जिगर',
जिस को  जितना  ख़राब  होना  था।
******************************
वफात (निधन)
जिगर की वफात गोंडा में 9 सितंबर 1960 को हो गयी। उनके मृत्यु के बाद गोंडा शहर में एक छोटी सी आवासीय कॉलोनी का नाम उनकी याद में  *जिगरगंज* रखा गया। गोंडा के एक इंटरमीडिएट कॉलेज का नाम भी उनके नाम पर "दि जिगर मेमोरियल इंटर कॉलेज" रखा गया। मज़ार-ए-जिगर मुरादाबादी, तोपखाना, गोंडा में स्थित है।उन्हें अपने कविता संग्रह "आतिश-ए-गुल" के लिए 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और मानद डी.लिट से सम्मानित किया गया।

अब्दुल हमीद इदरीसी,
हमीद कानपुरी,
फेथफुलगंज, छावनी, कानपुर-208004

April 04, 2022

हाइकु haiku (राजीव कुमार)

हाइकु

आँखों में नमी 
जिगर में गुब्बार 
यही है प्यार .



 प्रेम पताका 
प्रेम विरोधी पर 
रहा है भारी .

जीने की राह
कठिन व आसान 
कर निवाह 

मुकर गया 
सफर से कारवां 
मेरी दास्ताँ .

उभर आये 
आँखों के काळे घेरे 
याद में तेरे .

आँगन खेली 
बिटिया हरदम 
आँखों ओझल .



राजीव कुमार 
April 04, 2022

आई पी एल (इंडियन प्रीमियर लीग) मैच दर मैच IPL Indian Premier League

 आई पी एल (इंडियन प्रीमियर लीग) मैच दर मैच

आई पी एल मैच -10
गिल का बल्ला जब चला, दिल्ली हुई निढाल।
फर्ग्यूसन  ने  अंत  में,  दिखलायी  फिर चाल।

आई पी एल मैच- 9
बटलर  ने  दिखला  दिया, बाजू  में  है जान।
फिर  बालर्स  धमाल  से , जीता  राजस्थान।

आई पी एल मैच-8
के  के  आर  हुई  सफल, थी  पूरी  हक़दार।
आफत बन बरसे रसल, छक्कों की बौछार।

आई पी एल मैच-7
सारे   मन्सूबे   हुये,  धोनी  जी  के  ख़ाक।
तारीफें सब  ले  उड़े, क्विंटनजी डी काक।

आई पी एल मैच-6
टीम आर सी बी बनी, छठे  मैच की  मीर।
कलकत्ता को  जा  लगे, हसरंगा  के तीर।

आई पी एल मैच-5
सनराइजर्स के  लिए, नहीं  रहा आसान।
खूब चले जब सैमसन, जीता राजस्थान।

आई पी एल मैच-4
पूरी दुनिया जानती,हार्दिक की क्या बात।
तेवटिया के  खेल से, जीत गया  गुजरात।

आई पी एल मैच-3
इक झटके में पा गया,अपनी खोई आब।
बड़े स्कोर को पार कर,जीत गया पंजाब।

आई पी एल मैच -2
दिल्ली का  परचम रहा, यादव जी  के हाथ।
जमकर दिया खलील ने,यादवजी का साथ।

आई पी एल मैच-1
माही   वैसे  ही   दिखे, जैसा  रहा  अतीत।
पर दिलवा पाये  नहीं,सी यस के को जीत।

हमीद कानपुरी
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर, कैण्ट, कानपुर-208004

March 31, 2022

प्रेम तकरार Prem takraar

 प्रेम तकरार


नेहा और मयंक में आपसी खटपट, नोंकझोंक इतनी बढ़ गई कि दोनों में दस दिनों तक बातचीत नहीं हुई। शादी के बाद ये पहला मौका था, और प्यार को परखने का अवसर भी। नेहा से अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कहा ’’ अच्छा बहाना मिल गया है आपको झगड़ा करने का। ’’
मयंक ने कहा ’’ झगड़ा मैंने किया ? उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे। ’’ सूनने के बाद नेहा की भौंहें तन गई थी।
’’ हाँ हाँ आप चोर, आपके मन में चोर और आपके प्यार में चोर। ’’
’’ ऐसा कैसे भला ? शुरूआत तो तुम्ही ने की थी। ’’
’’ मैं तो मान गई थी, लेकिन आपके प्यार को परख रही थी और आप फेल भी हो गए। ’’
’’ मैं फेल हो गया, वो भी सच्चे प्यार में ? ’’ आश्चर्यचकित होकर मयंक ने सवाल किया।
’’ मैंने चुड़ीयाँ खनकाई, पायल झनकायी और कपड़ों में ढेर सारा सेंट भी लगाया कि आप मेरी तरफ देखकर मेरी मुसकान मे सब कुछ भूलकर मुझ से बात करें। ’’ नेहा के खुबसूरत होठों से प्यार झलक रहा था और आँखों में शिकायत। 
मयंक भी रोमेंटिक मुड में आ गया ’’ आ हा हा, बहूत खुब ध्यान आकर्षित करना सिर्फ तुम्ही को आता है ? मैंने दो ग्लास तोड़े, तुम्हारी दाल में खुब नमक मिला दिया, बाईक का एक्सीलेटर खुब तेज किया, खुब तेज हॉर्न बजाया ताकि तुम शिकायत करो और मैं माफी माँगकर सारे गिले शिकवे दूर कर लूँ लेकिन तुम तो रही बुद्धू समझ नहीं पाई। ’’
’’ आप समझा नहीं पाए अब मैं समझाती हूँ। ’’ नेहा ने मयंक की आँखों में अपनी आँखें डाल दीं, दोनों के नेत्रों की चमक एक दुसरे से टरका रही थी ओर अब दोनों एक दुसरे की बाँहों में थे, दोनों के दिल की धड़कनें, एक दुजे के दिल को धड़का रही थी।

लेखक
राजीव कुमार