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मिथिला संस्कृति से फलता फूलता बाबा नगरी देवघर Mithila Sanskriti or baba nagari devghar

 मिथिला संस्कृति से फलता फूलता बाबा नगरी देवघर

Baba nagari Dev ghar


संस्कृति से रोजगार जी हां मैं बात कर रहा हूँ बाबा नगरी देवघर की।यूं तो बाबा नगरी सावन मेले के लिए प्रसिद्ध रहा है।जहां देश विदेश के पर्यटक आते रहे हैं।विगत दो वर्षों का कोरोना काल और सूनसान मेले ने चारो ओर उदासी फैला रखी थी।लेकिन इन दिनो लगन और संस्कार की उमड़ती भीड ने यहां के स्थानीय लोगो के चेहरे पर फिर से मुस्कान ला दी है।

ज्यादातर शादी, मुंडन और यज्ञोपवित संस्कार आजकल इस नगरी की शोभा बढा रहा है।यहां की 90%आबादी बाहर से आये लोगो पर आश्रित है।आजकल ज्यादातर लोग मिथिला से आकर यहां विभिन्न संस्कार कराते है उसी के फलस्वरूप यहां के लोगो का व्यवसाय फल फूल रहा है।

सुविधाओं की कमी और सरकारो की अव्यवस्था से जूझता यह पर्यटन स्थल गंदगी और बिजली की कमी झेलने को विवश है।मै बात कर रहा हूं यहां की अलौकिक शिवगंगा की जो एक भव्य और रमणीक स्थल है । विशाल शिवगंगा के चारो ओर घाटो पर फैले गंदगी आने वाले भविष्य के लिए अच्छे संकेत नही है।यहा का पानी जो कि शुद्ध माना जाता है आज गंदगी के कारण स्नान लायक नही रहा। स्थानीय प्रशासन की उदासीन नीति और लोगो में जागरूकता की कमी के कारण यह स्थल अब गंदगी से लैस है अगर यही हाल रहा तो भविष्य में यह श्रद्धालुओं के स्नान लायक नही रह पाएगा।

यहां शिवगंगा के किनारे चारो ओर फैले छोटे दुकानदार का कचरा और मूर्ति विर्सजन से यह जल प्रदूषित होती जा रही है जिसे रोकना लाजमी है।देवघर नगर निगम और यहां के प्रशासन की उदासीन रवैया इसके अलौकिक सुन्दरता को बचा सकते है यदि वे तत्पर रहेंगे।

जहां तक यहां के लोगो की रोजी रोटी का सवाल है वह पर्यटक पर निर्भर करता है विशेषकर मिथिला और कोशी क्षेत्र के लोग अपने बच्चो का प्रथम संस्कार यहीं आकर करते रहे हैं ।जिसके फलस्वरूप आज यह नगरी पुनः आबाद रहता है।

बिहार मिथिला की संस्कृति में यज्ञोपवित और मुंडन का संस्कार प्रायः सभी लोग करते है ।बाबानगरी में करने से बाबादर्शन के साथ कम खर्च में संस्कार हो जाता है यही कारण है लोग बडी मात्रा में यहां आते है और लगन मुहूर्त में यहा भीड़ देखने को मिलती है।

              

                                               आशुतोष 
                                            पटना बिहार 

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