शीर्षक: संगीत का महत्व
सुनाकर मुझे अपना राग,
मेरा मन बहलाते हो।
थकान मेरी अपने गीतों,
से तुम मिटाते हो।
तभी तो संगीत को,
महफ़िल की शान मनाते है।
और हर राज दरबारों में
इन्हें स्थापित करते है।।
समय ने फिर करवट ली,
बदल गया सब नजरिया।
संगीत को मनोरंजन का, साधन माने जाने लगा।
और गांव और शहरों में,
इसका आयोजन होने लगे।
जिससे जनता जनार्दन की,
थकान मिटाने लगे।
और समाज में हर्ष उल्लास का,
वातावरण बने सके।।
अब तो लोग अपने काम के साथ भी,गीतों को सुनते है।
और काम के साथ साथ,
मनोरंजन भी करते है।
और अपनी कार्य क्षमता को,
बिना थकान के बढ़ाते है।
तभी तो आज कल संगीत को,
विशेष महत्त्व दिया जाता है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
15/11/2019
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