कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

हमीद कानपुरी के ग़ज़ल/ ghazal/jumlebaaz

 ग़ज़ल


झूठ  जुमले   के  सहारे   चल  रहे।
आसमां  भू   पर  उतारे   चल  रहे।

मंज़िलों का  कुछ नहीं उनको पता,
आज  बिन  सोचे  विचारे  चल रहे।

हर  तरफ़   है   ज़ह्र  आलूदा  हवा,
पर शजर पर   रोज़ आरे  चल रहे।
 
हमनवा को  जानते हरगिज़  नहीं,
साथ  लेकर  चाँद  तारे  चल  रहे।

है चरम पर  जीत  जाने  का जुनूं,
यूँ  अराजक  रोज़  नारे  चल  रहे।

हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
179, मीरपुर, छावनी,कानपुर-208004

No comments:

Post a Comment