राजनीति पर कविता हाड़ौती हास्य में
यह कैसी आजादी घोर बर्बादी,,,
गांधी गांधी बोल-बोल के लंगोटी बिकवादी
ये संसद ना हुई किराने की दुकान हो गई
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गई.........
सबने किया घोटाला मुंह सबका हे काला
रामदेव अन्ना ने गाया ऊ लाला ऊ लाला
C.b.i. ना हुई ये झंडू बाम हो गई
गांधी बाबा तेरी खादी........
हाय - हाय महंगाई कमर तोड़ दी भाई
घोटालों का सिरा पी गई एक जलेबी बाई -2
चोरी करके सीना जोरी खुले आम हो गई
गांधी बाबा तेरी खादी ......
राजनीति के संज़तो के सागर लहरें - लहरें
रावण के तो दस थे लेकिन इनके सो-सो चेहरे -2
ऐसा लगता सारी दिल्ली आसाराम हो गई
गांधी बाबा तेरी खादी बदनाम हो गई ।
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