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कालिका सेमवाल- मुझको मत ठुकराना प्रिये

मुझको मत ठुकराना प्रिये 


जीवन की मादक घड़ियों में, मुझको मत ठुकराना प्रिये, नव ऊषा लेकर आएगी, जब मधुमय जीवन लाली, कुहू- कुहू कर बोलेगी, जब कोयलिया काली -काली। नव रस से भर जाएगी, जब बसन्त की डाली -डाली, लहरेंगे किसलय-किसलय, पावन यौवन की हरियाली, ऐसी मधुमय घड़ियों में, तुम विरह गीत न गाना प्रिये। छोटी -छोटी मन -रंजन, और हरी -हरी द्रुम लतिकाएं, प्रातः मोती के चमकीले कण, सलाज से भर लाएं, म

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