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Riste रिश्ते

शीर्षक--**रिस्ते**


तुम बोलेंगे नहीं
तो मैं भी क्यों बोलूँ ..??
लो अपने ही थे दोनों पर
अब दोनों अजनबी हो गए हैं...

आंधी भी आफ़त है ,
कितनी ताक़त लगाए है
लो पत्ते दरख़्तों  से बड़े हो गए हैं ...

आजकल हुआ ये की
 वो मिलते नहीं हैं,
लोगों के कान जबसे खड़े होगए हैं...

न दुआ न सलाम न ही नज़रें मिल रही हैं
जबसे कुत्ते झरोंखों पे 
खड़े हो गए हैं ..

नहीं नाचते मोर अब
घटा छा जाने पर,
जंगल के नियम जबसे कड़ें हो गाए हैं...

मनमुटाव तो नहीं है तुमसे
पर लगाव भी अब बचा कहाँ,
रिस्ते जबसे खाली घड़े हो गए हैं...।।


रीमा मिश्रा
न्यू केंदा कोलियरी
पोस्ट-केंदा
जिला-पश्चिम बर्धमान

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