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प्रगतिशील भारत


।। प्रगतिशील भारत।।

विश्व आज झांक रहा।
भारत को  ताक  रहा।।

आज प्रयाण  कर गये
चन्द्र    पर   चढ़  गये 
हुनर को  दिखा  दिया
जग  को  बता   दिया
अरि  शक्ति भांप रहा।। विश्व - - - - -


हम किसी से कम नहीं
दुनिया  मे   दम   नहीं
छेड़ सकता  कौन हमे
पैर   चांद   पर    जमे
शत्रु   धूल  फांक  रहा।। विश्व - - - -

अब  न  रहे  वो   दिन
जो  विते   गिन-  गिन
आज हिंद का शुमार है
शत्रु    को    बुखार   है
अपना  भी साख  रहा।। विश्व - - - - -

प्रगति शीलता  का पथ
धरती  अम्बर  रहा मथ
सागर  को भी   चीरता
जाती  न  जल्दी धीरता
अंतरिक्ष को  माप  रहा।। विश्व - - - -

तकनीकि का विशेष ज्ञान
भारत  को  न   अभिमान
दिखाने  संसार को  चला
मग परोपकार  का  भला
स्वाभिमान    जाग    रहा।। विश्व - - - - -

चाँद   विजय   पूरा    है
अब  कार्य  ना अधूरा है
पंक्ति   मे  खड़े   जवान
पढ़      रहे      राष्ट्रगान
दुश्मन   तो   कांप   रहा।।विश्व - - - -

स्वरचित         ।। कविरंग।।
                  पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)

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