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गीत साथी geet sathi

गीत - साथी


साथी हो तो साथ चलो।
हाथ पकड़ कर खींचों ना।।

हमदर्द बने हो जीवन के,
दर्द को समझो 
उसे सींचो ना।।

भावों को मेरे जब
समझ रहे हो, जान के
यू आंखें  मीचो ना।।

तुम जैसी ही हूं मैं भी,
भेदभाव की
लकीरे खींचो ना।।

साथी हैं हम तो साथ चलें,
अकेले में क्या मजा ?
जरा सोचो ना....

साथी हो तो साथ चलो
हाथ पकड़कर खींचो ना।।

            कंचन शुक्ला ( स्वरचित )

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