कविता - प्यार की तलाश
मन में दिया जलता रहा।
भीड़ बहुत थी पर,
मन में थी आस
मैं अकेला चलता रहा.....।
कभी तो पूरी होगी
प्यार की तलाश
यही सोच कर
हर चेहरा पढ़ता रहा......।
जब तक तुम ना मिले
मंजिल पाने को
अकेला आगे बढ़ता रहा....।
जब तुम मिले
मिट गया हर मलाल
तुम साथ चले तो जीवन
खुशियों के आसमान में उड़ता रहा...।
कंचन शुक्ला ( स्वरचित )
No comments:
Post a Comment