काश! कोई ऐसी घड़ी होती??
काश ! कोई ऐसी घड़ी होती??
जिसको मैं अपने मुताबिक चला सकता।
जिसे मैं पीछे की ओर घुमा सकता
जब सूइयों के साथ,
समय भी पीछे जाता।
बहुत से ऐसे खुशगंवार पलों को फिर से
दुगुनी खुशी के साथ जी सकता। काश-----
कुछ ऐसे रिश्ते जो बिछड़ गए
है, हमेशा हमेशा के लिए,
उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताता।
रूठे हुए आत्मीयजनों को मना सकता।
जो कहीं न कहीं
दफ्न है, दिल की गहराइयों में
जिनकों चाहकर भी मना नही पाए आजतक। काश-----
बार बार समय के साथ पीछे चला जाता, बचपन के उन हसीं पलों में,
जो भुलाए नही भूले जाते है।
स्कूल की वो मस्ती, दोस्तो की गलबैया
दुःख का कोई लेशमात्र
स्थान नही होता। काश----
अश्रु, अवसान, क्रोध, चिंता, भय
जैसे हृदय विदीर्ण करने वाले समय के आते ही जल्दी से सूइयों के साथ
उन पलों को जल्दी से आगे बढ़ा सकता।
काश ! कोई घड़ी ऐसी होती ??
जिसको मैं अपने मुताबिक चला सकता।
जिसको मैं अपने मुताबिक चला सकता।
जिसे मैं पीछे की ओर घुमा सकता
जब सूइयों के साथ,
समय भी पीछे जाता।
बहुत से ऐसे खुशगंवार पलों को फिर से
दुगुनी खुशी के साथ जी सकता। काश-----
कुछ ऐसे रिश्ते जो बिछड़ गए
है, हमेशा हमेशा के लिए,
उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताता।
रूठे हुए आत्मीयजनों को मना सकता।
जो कहीं न कहीं
दफ्न है, दिल की गहराइयों में
जिनकों चाहकर भी मना नही पाए आजतक। काश-----
बार बार समय के साथ पीछे चला जाता, बचपन के उन हसीं पलों में,
जो भुलाए नही भूले जाते है।
स्कूल की वो मस्ती, दोस्तो की गलबैया
दुःख का कोई लेशमात्र
स्थान नही होता। काश----
अश्रु, अवसान, क्रोध, चिंता, भय
जैसे हृदय विदीर्ण करने वाले समय के आते ही जल्दी से सूइयों के साथ
उन पलों को जल्दी से आगे बढ़ा सकता।
काश ! कोई घड़ी ऐसी होती ??
जिसको मैं अपने मुताबिक चला सकता।
रचनाकार- (मनीष कृष्ण पाण्डेय)
Bhaut acchi rachna .....
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