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रवि रश्मि 'अनुभूति 'फ़ागुन होली

फागुन / होली 

  रजनी छंद       मात्रिक छंद 

  1. विधान  

चार चरण , प्रति चरण 23 मात्रा , दो - दो या चारों चरण समतुकांत , चरणांत गुरु अनिवार्य ।

मापनी ----

2122     2122     2122     2

गालगागा  गालगागा   गालगागा  गा 

आ गया त्योहार होली का चलो खेलें ।
रंग ले सुन आज पिचकारी चलो ले लें  ।।
भेदभावों को भुला कर आज हम चलते ।
आज आँखों में सभी सपने रहें पलते ।।

लो बजाती ढोल मंजीरे चली टोली ।
गीत गाती लो सुनाती राग तो होली ।।
आज भाये छेड़खानी भांग गोली भी ।
खेल होली रंग लाये आज भोली भी ।।

संग टोली हम बना कर आज खेलेंगे ।
साथ मिल कर आज हम तो रंग झेलेंगे ।।
एकता सद्भाव की बोली लगायेंगे ।
द्वेष ईर्ष्या की सब होली जलायेंगे ।।

प्रेम की हम आज तो सौगात बाँटेंगे ।
दुश्मनी की बेड़ियाँ हम आज काटेंगे ।।
ज्योति से तम दूर कर उजियार लायेंगे।
गा बजा कर आज हम होली मनायेंगे ।। 

(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '

4.2.2020 , 4:42 पीएम पर रचित ।

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