ग़जल .. आँसुओ से बर्फबारी कर रहा हूँ
ग़मो की खूब यारी कर रहा हूँ
यूँ मरने की तैयारी कर रहा हूँ
जुनूँ में मैं इश्क के आ गया तो
फ़ना हूँ ख़ाकसारी कर रहा हूँ
मैं भी अब भूल बैठा दर्द अपने
मुहब्बत की सवारी कर रहा हूँ
जहाँ मे' बेवफ़ाई का चलन है,
वफ़ा की दावेदारी कर रहा हूँ
जिन्हें मालूम है सब हाल मेरा
उन्हीं से राज़दारी कर रहा हूं
वो आया ज़िन्दगी में जबसे मेरे
मैं भी अब इख़्तियारी कर रहा हूँ
छुपाकर हाले-दिल 'आकिब" जहाँ से
आसुंओ से बर्फ़-बारी कर रहा हूँ
-आकिब जावेद
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