07.01.2020
1-माँ जैसा कोई नहीं,निर्मल सरल उदार।
दया मया ममतामयी,करती लाड़, दुलार।।
2-
माँ के आँचल से मिले,सोमपान की थाल।
पी -पी करके झूमता,स्याम सलोना लाल।।
3-
मन ममता के रस तले,हँसी खुशी संसार।
माँ की छाया से भला,मिला न तारनहार।।
4-
सर्दी में माँ आग है,गर्मी शीतल छावंँ।
शहर कभी बनती नहीं,बने सुरीली गाँव।
5-
करे तरक्की रात- दिन,यही मातु का भाव।
उरतल में नरमी विमल,कभी न आता ताव।।
कवि-कमल किशोर "कमल"
हमीरपुर बुन्देलखण्ड।
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