मन की टीस
मन में उठ रही टीस
आंखों में जलन है
क्यों नहीं किया जा
जा रहा मजदूरों की
समस्याओं का अब
इस समय समाधान है।
दिन को कमा घर आते
रात को पेट भर खाते
जमा खाते कैसे खुलवाते
बिना दिहाड़ी कैसे रह पाते
यह तो अब सोचने की बात है।
घर छोड़ कर आए परदेस
भूख पेट की मिटाने को
छोड़ना पड़ा इन्हें अपना देस
जेब में पैसा, पेट में रोटी नहीं
यह तो बहुत दिनों की बात है।
दर-दर भटक रहे, पैदल चल रहे
रात काटे कहां पर, ट्रेनों से मर रहे
रोटी पानी के लिए हैं तरह रहे
कहीं डरें भूख से,कहीं क्रोणा से डर रहे
श्मशान बन रही हर रात है।
बड़े लोगों का है यह देश
गरीबों पर चलते सारे निर्देश
बड़े लोगों पर ना डाल सकते हाथ
मजदूरों पे पहुंचाया जा रहा आघात
क्या होते नहीं गरीबों के जज़्बात।
देख पटरी पर रोटी मन गया भर
देख उनके कपड़े, मन कांपा दर -थर
घर वापसी के लिए मचा हाहाकार
अब तो आजा सुन दुख भरी पुकार
नाम की रख लाज,होगी जय जय कार।
कल्पना गुप्ता /रतन
परिचय
नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
जन्मतिथि--04-05-1965
जन्म स्थान--भद्रवाह (जम्मू एंड कश्मीर)
पता :- विकास नगर सरवाल शिव मंदिर के सामने जम्मू
जम्मू कश्मीर
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