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मानवता को ही गए भूल। Manavata ko hi gye bhul

मानवता 

मानवता  को  ही  भूलकर
मानव करता था सब काम
सुबह  से  लेकर शाम तक
नही  था  एक  भी आराम
प्रकृति का खूब दोहन करा
वह धरा का किया नुकसान
सोंच   रहा   था  उसने  भी
खूब   कर   लिया  है  नाम
राष्ट्रों  ने  भी  कर लिया था
परमाणु  बम  का  इंतेज़ाम
लेना था सबसे अब इंतक़ाम
अर्थव्यवस्था  को  लेकर थी
राष्ट्रों की खूब यूँ  खींचातान
जिसे देख होता ईश्वर हैरान
तभी  अचानक  एक  दिन
वुहान शहर से आया मेहमान
था  कोरोना  नाम का शैतान
पूरे  विश्व  में  डालकर  डेरा
दिया  खूब  घातक  अन्जाम
थे परमाणु से जो रौब झाड़ते
वो  हो गए  जीवाणु से हैरान
एक - दूजे  के यूं  सम्पर्क से
फैलने लगा था धीरे-धीरे रोग
सहमे -सहमे से रहने लगे थे
यूं  सभी  राष्ट्र  के  अब लोग
कोरोना ने खूब महामारी फैलाई
नही  बनी  है इसकी कोई दवाई
मिलकर अपनाए  सब यूं उपाय
सामाजिक दूरी,सेनेटाइजर,मास्क
घर से बाहर जाने पर अपनाए
लॉकडाउन  का  पालन करे
कोरोना को मिलकर हराए
राष्ट्र को विश्व विजेता बनाए।।

-आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश

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