शेरे हिंद
।। 1।।मृग झुंड मे मानो मृगराज गयो,
आज नया इतिहास बनायो।
पाक की सेना मे हुंकार भरो,
अभिनंदन आपन सिर न झुकायो।।
जग में सिर हिंद का ऊंचा कियो,
पाक विमान को मारि गिरायो।
मूंछ पे ताव अरि मुख घाव,
लखि-लखि दाव वो भारत आयो।।
।। 2।।
मानहुं लंक मे डंक बजाय,
हनुमान सरीखे वो भारत का छोरा।
सीमा से शत्रुन् के पुकेटि रह्यो,
संग्राम कियो महा वह घोर।।
अभिनंदन नंदन वंदन आज,
बहु सुख पाय रह्यो मन मोरा।
भारत को गर्व दबे अरि सर्व,
जहान है जानत हिंद का जोरा।।
।। 3।।
उड़त रंग गुलाल वो भारत को लाल,
काल सदृश अरि मुख पे भारी।
गर्जत तर्जत बर्जत अन्याय,
उसे देखि के दुश्मन हिम्मत हारी।।
मृगराज ढह्यो मृगजूथ भग्यो,
तैयार अगोरत लेने को सवारी।
हिंद मे हहरात पाक को घहरात
पहुंचि गयो वह बाघा अटारी।।
।। कवि रंग।।
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