कलम लाइव पत्रिका

ईमेल:- kalamlivepatrika@gmail.com

Sponsor

किताबों की मल्लिका kitabo ki mallika

मल्लिका'


“मैं तो बनी हूॅ॑ किताबों की मल्लिका/ 2
न ख्वाबों की दुनिया हैं कोई मेरी
न ख्यालों की दुनिया हैं कोई मेरी
न ही बनी मैं सपनों की रानी 
मैं तो बनी बस किताबों की मल्लिका/2।


न दौलत बनी मैं 
न सौहरत बनी मैं
न हूॅ॑ घरौंदे की फुदकती सी चिड़ियां
मैं तो बनी बस किताबों की मल्लिका/2।

जो मैं लबों से होकर गुजरती हूॅ॑
शब्दों से ही मैं दिल में उतरती हूॅ॑
जो मैं कभी भी कहीं से भी आकर 
छू लेती हूं दिल को कभी भी कहीं भी
ऐसी बनी मैं हर धड़कन की मल्लिका
मैं तो बनी बस किताबों की मल्लिका/2।।

रेशमा त्रिपाठी
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ।

No comments:

Post a Comment