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Nagarjun bahut dino ke baad kavita नागार्जुन बहुत दिनों के बाद कविता

Nagarjun ki kavita - bahut dino ke baad

Bahut dino ke baad

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर देखी
पकी – सुनहली फसलों की मुस्कान
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर सुन पाया
धान कूटती किशोरियों की कोकिल कंठी तान
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर सूँघे
मौलसिरी के ढे र- ढेर से ताजे – टटके फूल
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैं जी – भर छू पाया
अपनी गंवई पगडंडी की चंदनवर्णी धूल
बहुत दिनों के बाद
बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर तालमखाना खाया
गन्ने चूसे जी – भर
बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
अब की मैंने जी – भर भोगे
गंध – रूप – रस – शब्द – स्पर्श
सब साथ साथ इस भू पर
बहुत दिनों के बाद

बाबा नागार्जुन

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