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ऐ जाते हुए साल ae jaate hue saal

कविता-ऐ जाते हुए साल


जाते हुए साल,
दे गया तू
कितने सवाल
कितने मलाल,
कितने सवाल,

दलाल सभी
मीडिया हाऊस बने
शेर की खाल में
कितने माउस तने
देश को जिंदा 
धारा 144 रखें
कायदा कानून 
विरोधों में जचें

सरकार ही देश को
चलाने लगी।
जनता को कीमत
बताने लगी।
काहे की जनता
जनार्दन रही।
काहे को जनता
सिर माथे रहे।
अब तो सब 
हाय हाय।

उन्नीस ने 
उन्नीस हैसियत दिखाई।
बीस आएगा
बीस की देगा मलाई।

देश की जनता 
सिर्फ वोट है।
मंत्रियों की गंदी
फटी लंगोट है।
देश के भाग्य विधाता
महलों में रहें।
सरकार उनसे 
कभी कुछ न कहें।

उन्नीस ने बीस की
बानगी दे गया।
की मुद्दों की
रवानगी दे गया।
हिटलरी चोला
 जो खोला गया।
जनता के मुंह मे
अफीम घोला गया।
जमीनी मुद्दों को
धर्म का पाखंड खा गया।
कुर्सीधारी को भी 
बड़ा मजा आ गया।

कहने को बहुत 
कुछ विशेष है।
अभी तो जिल्द है
पुस्तक बांचना शेष है।

अनिल अयान

श्रीराम गली, मारुति नगर,
पोस्ट-बिडला विकास
सतना, मध्य प्रदेश पिन-485001

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