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कविता बेटियाँ kavita betiyan

बेटियाँ

हर घर के आँगनों की तुलसिया है बेटिया,
हर घर में छिपे धन की धन्वन्तरि है बेटिया,
हर घर के मंदिरों की अराधना हैं बेटिया,
हर छोटे के सर पे बड़े का साया हैं बेटिया,
हर पिता की सबसे लाडली होती हैं बेटियां,
जिसमें झलक हो माँ की वो होती हैं बेटिया,
हर घर में जलती ज्योत की जवाला है बेटिया,
हर घर में रखे धन की लक्ष्मी है बेटिया,
हर घर की शान आबरू होती हैं बेटिया,
परिवार के ही प्यार की भूखी है बेटियां,
तुम समझो इनको शान ये ऐसी है बेटिया,
पूरे परिवार की ये जान होती हैं बेटियां,
मेरी प्राथना है कि तुम ऐसा ना करो,
बेटों के मोह में तुम बेटियों को ना छोड़ो,
इस भारत की शान और गौरव है बेटियां,
गौरव है बेटिया, अभिमान बेटियां, स्वाभिमान बेटिया.....

हर्षवर्द्धन शर्मा

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