लघुकथा- "समानता"
laghu katha samanata
लड़के की माँ लड़की की माँ से कह रही थी-" बहन जी, मैंने अपने बेटे को लड़का और लड़की दोनों के सारे काम और संस्कार सिखाए हैं ताकि बेटा-बेटी एक सामान का नारा सच हो सके।आपकी बेटी के साथ मेरा बेटा बराबरी से घर के सारे कामों में जरूर हाथ बटायेगा क्यों कि रसोई बनाना, बर्तन कपड़े धोना किसने कह दिया है कि ये सारे काम सिर्फ और सिर्फ लड़कियों के हैं? जब आज लड़कियाँ पुरुषों के हर काम को बड़ी कुशलता पूर्वक कर रही हैं । वे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं तो पुरुषों को भी चाहिए कि वे स्त्रियों से कंधे से कंधा मिलाकर उनके घरेलू काम करें।"
लड़की की माँ ने लड़के की माँ के यह विचार सुने तो वह बहुत प्रसन्न हुई। उन्होंने तत्काल रिश्ते के लिए हाँ कह दिया।
डॉ.शैल चन्द्रा
रावण भाठा, नगरी
जिला- धमतरी
छत्तीसगढ़
No comments:
Post a Comment