हमारे देश की एक कड़वी सच्चाई जिससे हम मुँह नहीं फेर सकते
मुझे कहने में बुरा लग रहा है लेकिन अख़बार उठाने पर हर दिन खबरों से मन अब पूरी तरह निराश हो चुका है । मेरी अगली बात से सिर्फ महिलाएँ ही इत्तफ़ाक रखती है कि निपट सूनी जगह पर एक अजनबी पुरुष को देख मन हज़ार आशंकाओं से भयभीत हो जाता है । अपने परिवार के पुरुष सदस्यों के बीच तो हर लड़की सुरक्षित महसूस करती है लेकिन क्या यही सुरक्षा भावना परायों के बीच भी वे कभी महसूस कर पाएगी ???
हमारे देश ने विश्व में सबसे अधिक बलात्कार में तृतीय स्थान प्राप्त कर लिया । राष्ट्रीय अपराध 2016 के आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में प्रतिदिन 106 बलात्कार हो रहे है जबकि अनुमान यह है कि लोक लाज के भय से आधे से अधिक मामले सामने नही आ पाते । हर घण्टे 39 महिलाएँ शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही है । जिस पल आप ये पंक्तियाँ पढ़ रहे है ठीक इसी समय देश के किसी कोने में कही कोई लड़की छेड़खानी से त्रस्त अग्नि स्नान कर रही है , कही किसी को उबलते तेजाब से नहलाया जा रहा है । कुछ दिन पहले तक कही कोई अंकल 35 नन्ही कलियों को बरसों से रौंद रहा था ।
अनगिनत पीड़ाएँ , अनगिनत अपराध , अनगिनत मासूम , अनगिनत कहानियाँ । हाल ही में विदेशी महिला खिलाड़ी ने भारत की धरती पर खेलने से मना कर दिया क्योकि वह खिलाड़ी हमारे देश के बलात्कार के अचम्भित कर देने वाले आंकड़ों से आक्रोशित थी । फिर भी हम स्वयं को देवी पूजक और संस्कारी देश कहते है जबकि हमारे पुरुष विश्व स्तर पर बलात्कार के लिए अपनी पहचान स्थापित कर रहे है । हमारे यहाँ प्रतिवर्ष दो बार ,9 दिन तक बालिकाएँ पूजी जाती है । हमारे यहाँ बहने अपने भाई को रेशम की डोर बाँध रक्षा का वचन माँगती है । सभी भाइयों से अनुरोध कि दूसरे परिवार की महिलाओं , लड़कियों का भी सम्मान करना सीखें क्योकि उनको अपमानित करके आप अपने घर की बहन, बेटी और माँ को शर्मिंदा कर रहे है ।..."हर बहन सुरक्षित रहे"..
**इतनी खौफ़जदा घुटन हम सहे कैसे
जालिमों की बस्ती में महफ़ूज रहे कैसे
लोग यहाँ नियत पर मुल्लमा चढ़ाए
किसी की शराफत पर यकीन करे कैसे**
रीमा मिश्रा
आसनसोल(पश्चिम बंगाल)
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