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काला दाग लगा बाड़मेर पुलिस पर, हिरासत में युवक की मौत निंदनीय

फिर काला दाग लगा बाड़मेर पुलिस पर, हिरासत में युवक की मौत निंदनीय 


✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू
राजस्थान के बाड़मेर जिले के ग्रामीण थाने में चोरी के आरोप में हिरासत में लिए गए दलित युवक की पुलिस थाने में अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद पुलिस ने उसको आनन फानन में राजकीय अस्पताल लाया गया। जहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा किया और शव उठाने से इंकार कर दिया, पुलिस भी संदेह के घेरे में है। आरोप है कि युवक की पुलिस द्वारा मारपीट किये जाने से मौत हुई है। मामले तूल पकड़ते देख पुलिस अधीक्षक ने थानाधिकारी को निलंबित कर पुरे ग्रामीण थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया था। वहीं राज्य सरकार ने देर रात जिला पुलिस अधीक्षक को भी मामले की गंभीरता को देखते हुए एपीओ कर दिया गया है।
यह मामला पुलिस हिरासत में युवक की मौत हो जाने वाला बहुत ही निंदनीय है साथ ही पुलिस प्रशासन की छवि को धूमिल शर्मसार करने वाला है। पुलिस विभाग से आमजन का विश्वास उठता दिखाई दे रहा है तथा अपने आपको अपमानित व ठगा सा महसूस कर रहे है।
पुलिस विभाग का आदर्श वाक्य ' आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय' का उल्टा हो रहा है। अपराधिक प्रवृत्ति के लोग खुलेआम थानों में आ जा रहे हैं वही आमजन को भय महसूस हो रहा हैं। बाड़मेर पुलिस काफी समय से संदेह के घेरे में रही हैं। इससे पहले आरटीआई कार्यकर्ता की भी ऐसे ही संदिग्ध पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। उस समय भी पूरा थाना लाईन हाजिर हुआ था। मगर यह मामला फिर उनकी पुनरावृत्ति होने से एक बार फिर पुलिस की छवि शर्मसार हुई है। पिछले पच्चीस माह में जिले के से तीसरा पुलिस अधीक्षक एपीओ हुआ हैं। ऐसी घटनाएं बढ़ना पुलिस की छवि को दाग करता है। जरूरत है पुलिस विभाग अपनी खोई हुई साख को पुनः बचाए और आमजन का विश्वास जीत कर उनकी आशाओं पर कार्य करें और अपने आदर्श वाक्य को चरितार्थ करें।

व्याओं, व्याओं जैसे साईरन की आवाज दिल की धड़कनें बढ़ा देती है। और जहन में खाकी ओढ़े कुछ लोग भटकने लगते हैं। दरअसल हम यहाँ पर बात कर रहे हैं पुलिस की। जिसे समाज में शांति बनाये रखने का जिम्मा सौंपा गया है। लोगों के बीच सामंजस्य बरकरार रहे इसकी हिफाजत के लिए तैनात किया गया है। हालाँकि ये जिम्मेदारी जितनी पुलिस की है ,उतनी ही नागरिकों की। क्योंकि कहीं न कहीं दोनों एक दूसरे से एवं एक दूसरे के लिए भी हैं।  लेकिन न जाने क्यों अपराधियों के अलावा सामान्य लोगों के दिलों में भी पुलिस नाम की दहशत है। पुलिस का अर्थ न जाने क्यों जहन में नकारात्मक भाव उत्त्पन्न कर देता है।

सिर्फ इतना ही नहीं कभी कभी तो व्यक्ति इस सोच में पड़ जाता है कि बचें किससे पुलिस से या अपराधियों से। बच्चों के दिलों में भी पुलिसवालों की इमेज खूँसट और अकड़ू टाइप की होती है। बाकी अगर नहीं मानते तो जरा पुलिस का मतलब अपनों को छोड़ औरों से पूँछिये। हां कुछ लोग तो ये भी मानते हैं कि किसी दुर्घटना के बाद सुरक्षा के नाम पर फर्जदायगी के लिए आये खाकीधारी पुलिसवाले ही होते हैं। क्यों ये मतलब कितना सही है। ज़रा बताइये भी।

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि किसी के घर में यदि पुलिस आ जाये तो निगाहें कई सारे मतलब निकालने लगती हैं। क्योंकि आज पुलिस व्यवहारिकता फ़ैलाने का काम छोड़कर अपराधी, अपराध तक सीमित हो चुकी है। हालाँकि कई बार और कई लोग चाहते हैं कि पुलिस के शब्बाशी के कारनामों को उजागर किया जाए। बहादुरी के लिए सम्मानित किया जाए। जी बिलकुल। किया भी जाना चाहिए। पर शब्बाशी के इतर उन कारनामों का क्या , जो वर्दी को चंद रुपयों में नीलाम कर देते हैं, बेगुनाहों के सर गुनाह मढ़ देते हैं। वर्दी के दम पर डराते हैं, धमकाते हैं। अपराधियों को छोड़ मासूमों पर लाठी डंडे बरसाते हैं। बलात्कार करते हैं। हत्या के मामले को एक नई दिशा देने का प्रयास करते हैं। कुछ पैसों के चलते इंसानियत बिसरा देते हैं। और तमाम बातें जो उस शपथ को शर्मसार करती हैं। देश के विकास में बाधक बनती हैं।


बुराइयों के सुर्ख़ियों के तौर पर उड़ने के साथ ही पुलिस की सकारात्मक कार्यवाईयाँ छिपी और दबी समझ आती हैं। कमोवेश वजह के तौर भ्रष्टाचार ही चिहुंकता है। ज्यादा से ज्यादा संलिप्तता दिखाई देती है। कुछ बेईमानों की वजह से कई ईमानदारों को शर्मसार होना पड़ता है।


ज़रुरत है एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाले प्रयास की। हां यदि हालात और हालात को सुधारने या सुधरने की कल्पना की जा रही है तो इसमें ये जोड़ना न भूलें कि औदेदार धमकाकर या किसी अन्य प्रकार से पुलिस प्रशासन को गलत कार्य करने पर मजबूर न करें। साथ ही वे अपने कर्तव्य एवं कार्यों के प्रति ईमानदार रहें। पैसों की चमक के सामने नतमस्तक होकर अपने ज़मीर का सौदा न करें। ताकि उन्हें अपनी कीमत पता चल सके, समाज में अपना मतलब समेत भूमिका का बोध हो पाये। पुलिस विभाग अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप कार्य करें साथ ही आम जनता की आशाओं व विश्वास जीतकर कार्य करें। 

- ✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज'

( सहायक उपानिरीक्षक - रक्षा सेवाऐं भारतीय सेना
और स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )

निवास :- ' श्री हरि विष्णु कृपा भवन '
ग्राम :- श्री गर्गवास राजबेरा, 
तहसील उपखंड :- शिव, 
जिला मुख्यालय :- बाड़मेर, 
पिन कोड :- 344701, राजस्थान ।

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