इल्ज़ाम मेरे ही सर आए
अब ज़रूरत ही नहीं हम तेरे घर आए,*
तेरे गुनाहों के इल्ज़ाम मेरे ही सर आए।
*ज़मीं मिली तो खेती फूलों की करेंगे हम,*
संगतराश बनेंगे जो हिस्से में पत्थर आए।
*जीतने का मौका ख़ुदा ने सबको दिया था,*
अशोक, सिकन्दर,या राणा, अकबर आए।
*किसी ने जान लुटाया कोई लूटे आबरू,*
कारनामे अच्छे बुरे तो सबके नज़र आए।
*मुस्कुरा के मिलते रहे सभी दोस्तों से हम,*
शाहरुख़ मेरी ही पीठ पे क्यों खंजर आए।
*शाहरुख मोईन*
अररिया बिहार
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