श्रृंगार रस हाड़ौती हास्य कविता -
साजन मल ग्यो जी 35 , मारी उम्र 19 -20
मारा बाप ने देखी दौलत उम्र इकी नहीं जानी
बरसा पाछे भी ढूंढी च ऊंट - बैल की जोड़ी
हर, मुं चू छोरी नई - नई रे , यो लागे रे बूढो ऊंट
साजन मल ग्यो जी 35 , मारी उम्र 19 -20
हर , घर - बार सब देख्या रे बाबुल , उम्र इकि न जानी
कस्य्या कटेगो मनक जमारो , मारा मन की न जानी
समुद्र पाछेह आज मिन च प्यासी रे बिन पाणी
दिन उगताई पिव्वे बोतल , जब हाले इंकाह पाव
साजन मल ग्यो जी 35 , मारी उम्र 19 -20
संग सहेलियां बोले छोरी , भाग फूट गयो थारो
ये घर हाला आंधा हो ग्या री , बुढा के री पर्णा दी
दूरह सू देखह तो इन्ह , सुसरा ज्यू यो लागे
देक्या सु भी न लागे च , यो जवाई च थारो
साजन मल ग्यो जी 35 , मारी उम्र 19 -20
- में ये चार पंक्तियां बेटी के पिता के लिए लिखता हूं -
कटे उमरिया सुख में जोड़ी , मलती - मलती हेरो
अरे - कान गुवाल्या के संग में , ये बेटी न मत घेरो
ये गण मलजावे तो-भी , था - तो गुण देखो 36
साजन मल ग्यो जी 35 , मारी उम्र 19 -20
ओमप्रकाश मेरोटा हाड़ौती कवि
छबड़ा जिला बारां राजस्थान
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