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नीला आईना की व्याख्या Nila Aaina kavita ki vyakhya

नीला आईना

एक नीला आईना
            बेठोस-सी यह चाँदनी
और अंदर चल रहा हूँ मैं
            उसी के महातल के मौन में।
मौन में इतिहास का
            कन किरन जीवित, एक, बस।
एक पल के ओट में है कुल जहान।
आत्‍मा है
अखिल की हठ-सी।
           चाँदनी में घुल गये हैं
           बहुत-से तारे     बहुत कुछ
           घुल गया हूँ मैं
           बहुत कुछ अब।
                रह गया सा एक सीधा बिम्ब
                चल रहा है जो
                शान्त इंगित-सा
                न जाने किधर।
 सन्दर्भ :-
प्रसंग :-
व्याख्या :-    यह विस्तृत नीला आकाश एक  आइना है। इसमें तरल चाँदनी का प्रसार है और उसी के महातल के मौन के भीतर मै चल रहा हूँ। अब उसमें मौन के इतिहास की एक किरण मात्र शेष है। उसकी एक पल की ओट में सारी शक्ति हो रही हैं। उसी में अखिल ब्रह्मा के हठ के समान आत्मा है।
                    इस तरल चाँदनी में बहुत से तारे में घुल गया हूँ। अब मेरे साथ मात्र एक सीधा बिम्ब रह गया है जो शांत इंगित के समान चल रह है। वह शांति के संकेत के समान न जाने किस ओर जा रहा है।

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