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आओ प्रकृति पर्यावरण बचाओ Aao prakriti paryavaran bachaye

आओ प्रकृति पर्यावरण बचाओ

प्रकृति पेड़-पौधे व जीव-जंतुओ से प्यार ।
बन्धुओ! यही तो है अपने जीवन का आधार ।।

आओ पेड़-पौधे लगाओ रे, पर्यावरण बचाओ रे ।
आने वाली पीढ़ी की सोचो अर पर्यावरण बचाओ रे।।

नदी, ताल, झरनों का जल, यह रहेगा जो निर्मल ।
खेत-खलिहानों में बरसे पानी, नहरों बहे कल - कल ।।

सभी मिलकर पर्यावरण संरक्षण में आगे आओ रे ।
सबको यह समझाओ रे, पर्यावरण को बचाओ रे ।।

आम नीम पीपल बरगद हो, अर जामुन मिले काली ।
चीकू सेव संतरों की, लदी - लदी हो फलों से डाली ।।

किसान बहौत अन्न उपजावे, पर्यावरण बचाओ रे । 
जंगल हरे-भरे हो न कटने पाये, यह समझाओ रे ।।

हरा-भरा हो वनमाला भारत, हीरों जड़ी पिरोवो रे ।
घर-घर अलख जगा, आओ पर्यावरण बचाओ रे ।।

मिट्टी पानी और शुध्द हवा, सबके लिए जरूरी है ।
भाईयों! इन्हे बचाना है यह जिम्मेदारी अपनी पूरी है ।।

सभी मिलकर देश-दुनियावासी कर्तव्य निभाओ रे ।
'रावत' आओ पर्यावरण संरक्षण कर साथ निभाओ रे ।।

 ✍🏻 सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 
( स्वतंत्र लेखक, रचनाकार, साहित्य प्रेमी )
ग्राम - श्री गर्गवास राजबेरा, 
तहसील उपखंड - शिव, जिला मुख्यालय - बाड़मेर 

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