कोरोना अब चल जा
घर बैठे अमीर खाये उसको क्या है हर्जा ,
आंख से देख रहा हूं हम रोशन, हो तो रहें हैं
यहां गरीब का कर्जा !
मिल गई है कोरोना तुझको इतिहास की पन्नो पर दर्जा ,
लोगों को आनंद करके कोरोना अब तू चल जा !!
परसों जायेगा सो तू कल जा ,
चल ही नहीं ,तू अमर हो गया अब मर जा !
मरते ही तू जल जा ,
क्योंकि परेशान हैं तुम से राज्य के राजन और प्रजा !!
सूखे पत्तों की तरह तू दुनिया से झड़ जा ,
जल-थल-वायु से तू बिखर जा !
अगले जन्म के लिए भगवान से तू डर जा ,
कहीं के नहीं रहेंगे हम ग़रीब , इतिहास बन गया कोरोना
अब तू चल जा !!
® रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
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