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ऐसी शहर है Aesa shahar h

ऐसी शहर है
कोरोना है , सब घर में, मगर है ,
कौन वहीं कलकत्ता, दिल्ली मुंबई शहर है ।
चुप सा महल है ,
दवा नहीं कोरोना का , बचने के लिए दूरी बनाएं रखो
यही इसका दवा, कहो तो यही चरणामृत और शक्कर है ।।

चीन की चालाकी का चक्कर है ,
आज हमारा कोरोना से टक्कर है ‌।
लड़ना है कोरोना से, यही हमारा अक्ल है ,
घर में सब इसलिए चुप सा आज हमारा शहर है ।।

आने वाली खुशी की कल है ,
लाने वाले हम दल है ।
लायेंगे खुशियां, ये हमारा कोरोना से लड़ने का पल है ,
घर बैठे सब कोरोना से लड़ रहे हैं ,
इसलिए चुप सा हमारा शहर है ।।

बिना देखे ही कह रहे हैं हम रोशन कि अभी
मुस्कुराता हुआ नदी और नहर है ,
पर मुस्कुराने वाले इमारतों पर न लहर है ,
बाज़ार है पर न चहल है ‌।
सब कोरोना से लड़ रहे हैं , इसलिए चुप शांत
सा हमारा शहर है ।।


 रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज कोलकाता

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