कोरोना से बचाव के लिए कुछ सुझाव
वहां कबहु मत जाइए, जहां जमे हों लोग ।
ना जाने किस रूप में, लगे करोना रोग ।।
श्रीमन घर में ही रहो, रहनौ चाहौ निरोग।
होड करौ मत काऊ की, कहा करत हैं लोग।।
चना काबली दार अरु, बेसन लेऔ मंगाय।
दही छाछ घर होय तौ, रायतौ लेऔ बनाय।।
नाते रिसते दोसती, फोनई लेऔ निबाहु।
रहौ सुरक्षित घरई में, मत काहू ढिऺग जाहु।।
मैया की सेवा करौ, दादा संग बतियाहु।
अरु बच्चन ते प्रेम करौ, घरबारी मन लाहु।।
भागत भागत फिरत रहे, जीवन भर सब लोग।
बड़े भाग ते मिलौ है, घर रहिबे कौ जोग।।
सहजई दिन कट जाएंगे, बीत जायगौ काल।
सदा रहत ना एकसौ, सबकौ ऐसौ हाल ।।
तातो पानी दूध अरु, ताती पीऔ चाय।
ताती ताती भाप लेओ, करोना दूर भगाय।।
सीरी चीज खाओ मति, सीरौ पीऔ ना नीर।
पर ब्यौहार सीरौ रहै, जतन करो मतिधीर ।।
जीवन बड़ौ के धन बडौ़, सोच लेहु मन मांहि।
जीवन रहे तो धन मिलै, बिन जीवन कछु नाहिं।।
अपने अपने ललन कूं, सबई देओ समझाय।
व्यर्थ ना घूमै गैल में, ना काहू घर जाय।।
बाहर खेलन छोड़ दैं, घर में मौज मनाय।
पढै़ं धार्मिक ग्रंथ जब, सहज ज्ञान है जाय।।
पंचतंत्र रामायण, भगवद्गीता पुरान।
महाभारत कथा पढैं, धरैं गुरु कौ ध्यान।
जोग करैं घर बैठकैं,पद्मासन कूं लगाय।
तन-मन दोऊ स्वस्थ रहैं, चिंता रोग नसाय।।
छोरि-छोरन के ब्याह कूं, आगैं कूं सरकाय।
कारज बिलकुल मति करौ, घर पै जो मर जाय।।
रिसतेदारन सों कहौ, मिलबे कूं ना आएं।
मिटै करोना रोग जब, बहू-बेटी कूं बुलाएं।।
रचनाकार
कान्ति प्रसाद सैनी
(वरिष्ठ अध्यापक)
जनूथर (डीग) भरतपुर
Fantastic creation
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