शीर्षक :-
माँ तेरी उम्मीदों का सूरज, अस्त नही होने दूँगा
माँ तेरी उम्मीदों का सूरज,
अस्त न होने दूँगा ।
देकर लहू तेरी रक्षा में ,
तेरी शान न मिटने दूँगा ।।
तेरे मान की खातिर,
भारत माँ मैं जान लुटा दूँगा ।
दुश्मन के नापाक इरादे,
कामयाब न होने दूँगा ।।
माँ तेरी उम्मीदों का सूरज ।
अस्त न होने दूँगा ।।
गद्दारों की फ़ौज का ,
नाम-ओ-निशां मिटा दूँगा ।
लाल हूँ भारत माँ तेरा,
सर्वस्व लुटा दूँगा ।।
माँ तेरी उम्मीदों का सूरज ।
अस्त न होने दूँगा ।।
रचनाकार
कैलाश गर्ग रातड़ी
शिक्षक
जिला बाड़मेर राजस्थान ।
धन्यवाद जी
ReplyDeleteजय हिंद, वन्दे मातरम 💐💐
जय हिंद
ReplyDeleteजय हिंद 💐💐
Deleteजय हिंद
ReplyDeleteJai hind
ReplyDeleteजय हिंद
Deleteजय हिंद
ReplyDeleteशहीदों को नमन
ReplyDeleteआपकी लेखनी को सलाम हमारा🙏
ReplyDeleteNice
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