माँ का वात्सल्य, माँ का प्यार
माँ की ममता मां का प्यार, माँ के आगे सब बेकार ।।
कौन है जग में माँ के जैसा, सोना चांदी रुपया पैसा।।
पहले खाना हमें खिलाती, रुखा सुखा खुद खा सो जाति।।
पहले हमारे बिस्तर लगाती, सबसे देरी से वो ही सोती।।
प्रातः काल सबसे पहले उठती, घर का काम सच्चे मन से करती।।
हमसे करती है प्यार दुलार, माँ तो है ममता का सागर।।
नौ मास हमें कोख में रखती, ना जाने वह कितना दर्द सहती।।
हम को सुख देने की खातिर, ना जाने कितने त्याग वह करती।।
कपड़े धोती, खाना बनाती, ना खाऊं तो अपने हाथों से खिलाती।।
गाती रहती मुस्कराती रहती, ममता की वो लोरी सुनाती।।
सारे जग का प्यार देकर, हम सब में भरती संस्कार।।
जीवन के हर मर्ज की दवा है माँ, कभी डांटती कभी गले लगाती माँ।।
मां का प्यार माँ का दुलार, अच्छे काम सदा तुम करना।।
हम सबको यही बात कहती है, गलत संगत में ना पड़ जाए।।
सब बातों का रखती है ख्याल जरूर, माँ की ममता है अपरम्पार।।
माँ की ममता माँ का प्यार।
आपका अपना
शैताना राम बिश्नोई
राउमावि देवानिया, जोधपुर
हार्दिक बधाई जी।।
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