मां तुझे सलाम
हम हैं उड़ते पंछी
हमें तुम कहां पकड़ पाओगे
निडर होकर है सीखा जीना हमने
हमें तुम क्या डरा पाओगे।
जब हमने ली थी शपथ
मालूम था शत्रुओं द्वारा
बिछाए पत्थर, कांटों से
होगा भरा हमारा पथ
पीछे से करता है वार
जो होता है चोर वा गद्दार
सामने तुम ना आ पाओगे
हमें तुम क्या डरा पाओगे।
हम तो तुम्हें शत्रु मानते ही नहीं
क्या हो तुम पहचानते ही नहीं
होती है शत्रुता बराबर वालों से
इतनी तुम्हारी औकात नहीं
आवारा चीजों की तरह यहां वहां
बिखरना करो अब तुम बंद
वरना पछताते रह जाओगे
हमें तुम क्या डरा पाओगे।
हम तो हुए कुर्बान देश की खातिर
सब को अलविदा कह चले
तिरंगे में लिपट शत्रु को खत्म
करने का स्वपन साथियों को दे चले
कश्मीर को किया दूर तुमसे
संभल जाओ छोड़ दो मारामारी
वरना गिलगिस्तान भी ना बचा पाओगे
हमें तुम क्या डरा पाओगे।
हम चले गए तो क्या
देश में वीरों की कमी नहीं
नजरों में बसा अब केवल शत्रु
आंखों में है नमी नहीं
क्या तुम भूल गए अभिनंदन
आया था तोड़ तुम्हारे बंधन
ले कटोरा हाथ में क्या तुम कर पाओगे।
भारत मां कर रही तुम्हें सलाम
जांबाज़ बेटे हो तुम इस देश के
बच्चा बच्चा करें प्रणाम
हे मेरे देश के बहादुर वीर
जो रखा तुम्हारे परिवार ने धीर
लड़ते लड़ते मिली वीरगति
सदियों तक निरंतर याद आओगे
हमें तुम क्या डर पाआओगे।
कल्पना गुप्ता/ रतन
परिचय
नाम_कल्पना गुप्ता सीनियर लेक्चरर
कलमी नाम_कल्पना गुप्ता/ रतन
जम्मू जम्मू कश्मीर
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