मां हम मनाएं न तुम्हारी दिवस
मां व्यर्थ है दुनिया तेरे बिना ,
एक दिन का पर्व दिखाने के लिए हम नहीं मनाएं
तू तो रखी हमें पेट में नौ महीना ।
उसी नौ महीने से देखें और देख रहे हैं संसार ,
तू न होती , तो कैसे होता मेरा रक्त संचार ।
तुझे क्या दूं तोफा, और क्या दूं उपहार ,
समझ के बाहर है , मां तुम्हारी प्यार ।।
क्षमा करना मां, हम मनाएं न तुम्हारी त्यौहार ,
कौन हम तेरा ज्येष्ठ पुत्र रोशन कुमार ।
तुम्ही तो बनाई हमें होशियार ,
क्या दूं तुझे , देने के लिए जो सोचता हूं, वह
व्यर्थ है मेरी सवाल ।।
बस प्रस्तुत किया हूं , मां तुम पर दो विचार ,
सुखमय बीता है , और सुखमय ही बीतेगी
मां तुम्हारी वज़ह से हमारी भविष्य काल ।
हर इच्छा पूरा की , अगल-बगल से लेकर उधार ,
तब बताओ ऐ दुनिया कब और कहां मिलता ,
मां के अलावा मां की प्यार ।।
® रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
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