माँ बाप के लिए वृद्धाश्रम नहीं
ये हमारा धर्म नहीं ,
वृद्धाश्रम में माँ बाप को दें आना हमारा कर्म नहीं !
मैं रोशन बेहया, कौन कहां हम बेशर्म नही ,
घर है मां-बाप का , माँ बाप के लिए वृद्धाश्रम नहीं ।
पत्नी के कहने पर माता-पिता को वृद्धाश्रम दे
आया उसे शर्म नहीं ,
कोई हमें तो कहें उसे ही दे आऊंगा,
मैं औरों की तरह नरम नहीं ,
जिसकी आशीर्वाद से आज हमें कोई गम नहीं ,
मात-पिता के लिए वृद्धाश्रम नहीं ।।
मां-बाप प्रधान हम परम नहीं ,
उनके छाया में ठंड ही ठंड, कभी गर्म नहीं !
आज-कल के बेटे को मां-बाप पर रहम नहीं ,
दे आते वृद्धाश्रम ,
तो मैं कहता मां बाप के लिए वृद्धाश्रम नहीं ।।
® रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज , कोलकाता
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