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नारी Naari par kavita प्रकाश कुमार खोवाल

नारी 

 किसी किताब के पन्नों में लिखा था
   नारी को देवी का रूप कहा था
 पर आज नारी को कोई देवी नहीं मानता
  उसे खुलेआम बदनाम करने से कोई नहीं चुकता
पुराणों में जहां नारी की शक्ति को दर्शाया
आज वहां नारी को समझ कोई नहीं पाया

  जिस देश में नारियों को देवी के रूप में पूजा
  वहीं उनके साथ खिलवाड़ करने से कोई नहीं चुका
   दुष्ट कर रहे हैं उन पर बार-बार अत्याचार
  फिर भी चुप बैठी है दुनिया, देख नारी का ये हाल
  कभी शारीरिक दमन तो, कभी हो रहा है बलात्कार
   नारी ही जाने कैसे सहन करती है अपना यें हाल

आज घर के बाहर नहीं है अब वो सुरक्षित 
कैसे करेगी वो अब अपने अंगों को रक्षित
भूल गए हैं आज, हम अपने अस्तित्व की बात
आओ अब जाग जाएं हम, नारी को फिर से माने देवी हम
हर मुश्किल हर पल में दें उसका साथ
समझे अपने को सुरक्षित इस संसार में वो आज

   रचयिता-प्रकाश कुमार खोवाल
     जिला-सीकर, राजस्थान

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