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जब पोखरण के ख्याति की गूँज अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छाई Pokharan ke khyati ki gunj Antarashtriy patal pr chhai

जब पोखरण के ख्याति की गूँज अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छाई"


       'राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस विशेषांक'

                राजस्थान के जैसलमेर में स्थित पोकरण का नाम आते ही दो चीजें अनायास ही दिमाग में आ जाती हैं ,वो है महान लोकदेवता रामदेवजी महाराज की वीर गाथा एवं परमाणु परीक्षण । परमाणु परीक्षण के बाद पोकरण अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर उभर आया ।  सचमुच परमाणु परीक्षण से पहले इस क्षेत्र की पहचान विशेषतौर से आराध्य देव रामदेवजी के कारण थी । रामदेव जी का जन्म थाटी वाली खेजड़ी, उण्डू- काश्मीर (बाड़मेर) में हुआ था लेकिन इन्होंने समाधि पोकरण में ली थी । रामदेवरा नामक स्थल पर आज भी भव्य मेला लगता है जहाँ देशभर से लाखों श्रदालु दर्शनार्थ आते हैं । 
मई 1974 में पोकरण ( जैसलमेर ) में भारत का पहला परमाणु परीक्षण किया गया एवं 11 मई 1998 को दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया गया । भारतीय सेना एवं वैज्ञानिकों के साझा प्रयासों से जब यह मिशन कामयाब हुआ तो पूरे विश्वभर में भारत अपनी नई पहचान स्थापित कर चुका था । भारत परमाणु शक्ति संपन्न वाले राष्ट्रों की सूची में छठे नम्बर पर शामिल हो गया था । तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अटल इरादों ने इस ऐतिहासिक दिन की वर्षगांठ को चिरस्थायी बनाने के लिये 1999 में 11 मई को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई । इस दिन तकनीक के क्षेत्र में नये आविष्कारों का प्रदर्शन किया जाता हैं एवं तकनीक के क्षेत्र में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान किया जाता हैं । तकनीकी क्षेत्र से जुड़े स्कूलों, कॉलेजों, एवं अन्य संस्थानों में विविध प्रतियोगिताएं, सम्मान समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं ।
विज्ञान के इन नवाचारों की वजह से दुनिया सिमट कर रह गई है । विज्ञान के कारण मानव ने जल,थल, नभ इत्यादि क्षेत्र में अपना डंका बजाया हैं । वैज्ञानिकों का भारत की प्रगति में अमूल्य योगदान है । और ये दिवस उन प्रौद्योगिकी नवाचारों को प्रोत्साहित करने का दिन है । मुझे आज भी वो दिन याद है जब पूरा भारत ही नही विश्व जगत हमारे चन्द्रयान -2 मिशन पर टकटकी लगाए हुआ बैठा था । लैंडिंग के चंद लम्हो के फासले पर जब लैंडर विक्रम से अचानक सम्पर्क टूट गया तो मानो सन्नाटा पसर गया । मैं भी देर रात तक जागकर उस लम्हे को अपनी आँखों से लाईव देखना चाह रहा था । लेकिन जब मिशन असफल हुआ तो इसरो प्रमुख भी अपनी भावनाओं को काबू में नही कर सके एवं रो पड़े । उन्हें धीरज बंधाने हेतु स्वयं पीएम मोदी ने उन्हें गले लगा दिया । मिशन असफल होने के बावजूद देशवासियों ने वैज्ञानिकों के योगदान की सराहना की और अगले मिशन के कामयाब होने की दुआ मांगी । देशवासियों का प्यार एवं समर्थन इसी तरह रहा तो न केवल वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ेगा बल्कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत नित नए कीर्तिमान स्थापित करेगा ।

लेखक
कैलाश गर्ग रातड़ी
शिक्षक
उपखण्ड -शिव जिला बाड़मेर ( राजस्थान )

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