समाज के शिल्पकार शिक्षकों की कोविड-19 महामारी में महत्ती भूमिका
कोरोना वायरस के संक्रमण से फैली भयंकर वैश्विक महामारी में चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी, निगमकर्मी जहां कर्मवीर की भूमिका निभा रहे हैं, वहीं देश का भविष्य निर्माण करने वाले शिक्षक इन दिनों परदे के पीछे साइलेंट हीरो की तरह काम कर अपनी जान दांव पर लगाकर सीमा पर तैनात सिपाही की तरह मोर्चा संभाले हुए दोहरी भूमिका के रूप में बागडोर संभाल रहे हैं। वास्तव में देखा जाए तो शिक्षक देशहित, मानवहित की चुनौती को स्वीकार कर मानवधर्म निभाने की मिशाल पेश कर रहे हैं।शिक्षक के कंधों पर हमेशा ही बड़ी जिम्मेदारी रही है और इस संकट में भी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। शिक्षक समाज का दर्पण, शिल्पकार व मार्गदर्शक होता है, इस वाकया को चरितार्थ कर समाज को वास्तविकता से परिचय करवा रहें हैं। वर्तमान में शिक्षक की महत्ती भूमिका है। वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण से फैली भयंकर महामारी के दौर में फ्रंट लाइन के रूप में सेवा दे रहे डॉक्टर्स, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, सफाईकर्मियों, पुलिसकर्मियों व प्रशासन, मीडियाकर्मियों, नगर निगम कार्मिकों के साथ शिक्षक साथी घर-घर जाकर सर्वे करने, होम आइसोलेशन, क्वारेंटाईन सेंटर, कोरोना सहायता केंद्र, बीएलओ ड्यूटी , चैक पोस्टों पर एवं समाज व जनता को जागरूक करने के लिए प्रशासन का कंधे से कंधा मिलाकर अग्रिम भूमिका में अपनी जिम्मेदारी निर्वहन करते हुए जंग में कर्मवीर बनकर खड़े हैं। इसके साथ- साथ ऑनलाइन शिक्षा का ज़िम्मा भी उठाकर छात्रों को प्रोत्साहित कर उन्हें डिजिटल शिक्षा से जोड़कर सजगता के साथ संयम और अनुशासन का प्रेरणादाई पाठ पढ़ा रहे हैं।
और तो और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से संक्रमित व मृत लोगों के बारे में जानकर इतने व्यथित हुए कि लोगों की जान बचाने के लिए, हाल ही में कई शिक्षकों ने अपना जीवित स्वस्थ शरीर दान करने की घोषणा कर दी। उनकी सोच है कि कोरोना बचाव के लिए किए जाने वाले शोध, टीके के परीक्षण के लिए व दवा बनाने के लिए खुद की जीवंत देह/शरीर दान करने का सुअवसर मिले तो आनंद की अनुभूति होगी। ऐसी अनूठी मिशाल पेश कर इन शिक्षकों ने महानता का परिचय दिया है तथा भारत वर्ष में शिक्षक को समाज का शिल्पकार व दर्पण कहलाना चरितार्थ कर समाज के समक्ष एक अद्भुत नजारा पेश किया है। सच में 'गुरुवे नमः' कहना सार्थक व उचित ही होगा इसीलिए शिक्षक का दर्जा हमेशा से ही समाज में पूजनीय रहा है। फ्रंट लाइन कर्मवीरों के साथ अध्यापक टीम एक शूरवीर, बहादुर, सच्चे देशभक्त व समाज सेवी की तरह कोरोना रूपी संक्रमण से निजात दिलाने के लिए युद्ध के मैदान में दिन-रात एक करके हरसंभव जनहित, देशहित व मानव हित का फ़र्ज़ व धर्म निभा रही है। संपूर्ण वैश्विक स्तर पर कोरोना नामक वायरस से फैली भयंकर महामारी से डटकर लड़ने के लिए समर्पित शिक्षकों सहित समस्त कर्मवीर कोरोना योद्धाओं को सच्चे दिल से नमन, वंदन व साधुवाद।।
ऐसी विकट व मुश्किल घड़ी में हम समस्त देशवासियों को एकजुट होकर मानवता धर्म को सार्थक करना है व समस्त कर्मवीर योद्धाओं के साथ- साथ राष्ट्र निर्माता का मान- सम्मान बनाए रखना है।
जीत जायेगा इंडिया, फिर से मुस्करायेगा इंडिया।
सावधानी, सतर्कता एवं सुरक्षा ही बचाव है, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।
जय हिन्द, वन्दे मातरम्, जय शिक्षक।।
शैताना राम बिश्नोई,
राउमावि देवानिया,
जोधपुर
संपादक महोदय का हार्दिक आभार, अंक में उचित स्थान देकर आलेख प्रकाशित करने के लिए।।।
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