*बदली गांव की काया*
पढ़ी लिखी भौजाईकी ये हैं कहानी।
गांव वालों ने है सुनाई..2।
भौजाई की कार्यशैली हैं निराली।
घरद्वार के बारे में वो सब जाने।
तभी तो सबको कामों में लगा दिया।
घर की बेरोजगारी को उन्होंने भागा दिया।
आज कल भौजाई के किस्से हर कोई सुनता।
जुबा पर भौजाई का नाम रहता।।
व्याह के पढ़ीलिखी लड़की गांव में आई।
शहर को छोड़ गांव में आई।
गांवों के तौर तरीके वो बदलेंगे। 2
हर किसी को आत्मनिर्भर बनायेंगें।
अपनी पढ़ाई का वो उपयोग दिखेंगी।
गांव को आत्मनिर्भर बनायेंगी।।
अब तो चारो तरफ भौजाई के चर्चे हैं।
भैया के संग गांव वाले भी हैं चाहते।
तभी तो भौजाई अब सबको हैं भाती ।
इसलिए भौजाई अब ज्यादा समझाती।
सारे गांव में वो अपनी खूब चलती।
गांव को शहर जैसा बनाती।।
क्या छोटे क्या बड़े बूढे जन।
सभी खुश बहुत दिखते हैं आज कल।
बहू के कामों की करते प्रसन्नता ।
मानो बदल दी हैं गांव की काया।
सारो को धंधे पानी से जो लगाया।।
अब पढ़े लिखो का अब कर्तव्य ये हैं बनता।
गांवों को विकसित जाकर बनाये..2।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
11/07/2019
No comments:
Post a Comment