भोजपुरी कविता :- अगिला जनमवा माई हमरे के मंगिह
अगिला जनमवा माई हमरे के हो मंगिहऽ, ना त होई दुनिया हो अन्हार
अगिला जनमवा माई ममते में हो पलिहऽ, ना त होई दुनिया हो अन्हार,ना ...।
कतना मतरिया माई गरभे में संघारेली, बेटी नाहीं पावेली हो दुलार
कहाँ बेटी मांगस माई माई से हो संपतिया मांगे जनम के हो अधिकार
तोहरे दिहल अधिकरवा नू माई जनिहऽ, बेटी जात के मिली नू हो उजियार, ना....।
माई से बढ़ेली धिया, धिया से नू हो बियवा, अँखिया के पुतरी हो तोहार
तोहरे अँगनवा माई बाबूजी के नू गोदिया चमकेला भगिया हो सितार
बेटी के जिनिगिया माई बेटी के नू हो भगिया, बिंदिया से दमके हो लिलार, ना...।
आम के पलउआ माई मड़वा नू बन्हइहऽ, पल्लवे से सब विध हो हमार
खरची बचइहऽ माई खरची ना कबो बेचिहऽ दिहऽ जन तिलक घर हो झार
बेटी हम नाही करब बाबूजी के हो रंकवा, बाबूजी ना बनिहें हो भिखार, ना....।
जतना अरजिया माई बेटी हक में कइलीं, हम तऽ हईं बेदना हो तोहार
बेटी के बेदनवा माई माई के नू ममतवा आज बउए माई नू हो गिरफ्तार
कोखिया में आइब माई अगिला हो जनमवा, माई बनब धियवा हो तोहार, ना....।
रचनाकार
विद्या शंकर विद्यार्थी
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