लघुकथा शहीद
पूरे इलाके में मातम छाया हुआ था। जबसे सुना था कि चौधरी साहब का एक ही लड़का था वह भी सरहद पर शहीद हो गया। पूरे घर मे कोहराम मचा हुआ था जहाँ देखो वहां लोग चिल्ला - चिल्ला कर रो रहे थे। चौधरी साहब के आंखों के कोनों पर आंसू छाये हुए थे। किसी ने धीमी आवाज में पूँछा - साहब भारतीय सेना मे आपका लड़का किस पद पर था।
चौधरी साहब ने कहा - कर्नल
इतने मे आकाश मे गड़गड़ाहट होने लगी। आवाज तेज होते चला गया और हेलीकॉप्टर दिखा जो धीरे - धीरे नीचे की तरफ आ रहा था। सबों ने बिना बताए समझ गये कि यह कर्नल विजय का पार्थिव शरीर है। सेना के लोग उनके पार्थिव शरीर को उतार ही रहे थे तभी दूसरा हेलीकाप्टर भी उतरा जिसमें से प्रदेश के मुख्यमंत्री उतरे तथा शहीद को अंतिम भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। पुनः शहीद के पिता से मुलाकात की। चौधरी साहब ने मुख्यमंत्री को प्रणाम किया। मुख्यमंत्री ने कहा - कि हमे अफसोस है कि आपका एक ही पुत्र वो भी शहीद - - - गला रुध गया आगे बोल नहीं पाये।
चौधरी साहब ने कहा - साहब मुझे अपने बेटे पर फक्र है जिसका शरीर भारत मां की रक्षा मे काम आया और मै "आपको वचन देता हूँ कि हमारे पास एक ही पोता उसे भी सेना मे ही ज्वाइन कराऊंगा अन्यत्र नहीं"
मुख्यमंत्री जी आंखों मे आंसू भरकर बोले - "देश को ऐसे ही बाप की जरूरत है धन्य हैं आप धन्य हैं आपके जज्बात। अंत में शहीद के पार्थिव शरीर को प्रणाम कर मुख्यमंत्री जी चल दिए। जय - हिंद, जय - भारत।
स्वलिखित मौलिक ।। कविरंग।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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