चूड़ियाँ
सुहागिन का श्रृंगार होती चूड़ियाँ।
प्रीतम का प्यार होती चूड़ियाँ।।
हरी- हरी कत्थई नीली
आसमानी लाल सुंदर पीली।
वाजिब वही पहनने मे ढीली
कलाई मे चमकदार होती चूड़ियां
छम-छम करता सावन आया
तृषित पपीहा राग सुनाया।
साजन का संदेशा लाया
काँच की झनकदार होती चूड़ियाँ।।
नूतन जन्म मेरे साजन आये
चूनर मिलान से चूड़ी लाये।
अपने हाथों से हमे पहनाये
साजन का आभार होती चूड़ियाँ।।
उसे पहनकर मै इठलाती
चूड़ी झन - झन राग सुनाती।
झूला पर मै कजरी गाती
प्रेम का आधार होती चूड़ियाँ।।
दुखित चूड़ियाँ कहती कहना
हमें पहनना क्यूँ छोड़ी बहना।
कर सौंदर्य की सुंदर गहना
व्याह मे भी हकदार होती चूड़ियाँ।।
करिना की शादी में विलंब होवे
भाभी की चूड़ियाँ कन्या को देंवें।
क्या करेंगे जन्मपत्री टेवे
शीघ्र शादी में असरदार होती चूड़ियाँ।।
।। कवि रंग ।।
पर्रोई - सिद्धार्थ नगर( उ0प्र0)
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