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कविता बचपन Bachpan

बचपन


मिट्टी का घरौंदा हवेली से न्यारा था,
वो वर्षा का इंतजार प्यारा था।
बिन भूख-प्यास की चिंता के खेल न्यारा था,
वो नादाँ बचपन कितना प्यारा था।।
वो माँ से माखन  की जिद्द  करना न्यारा था,
वो माँ का हाथ से खिलाने में दुलार प्यार था। 
वो नादाँ बचपन कितना प्यारा था।।
वो गांव-गुवाड़ में सखा संग संगीत न्यारा था,
वो दादी माँ की लोरी सुनाना प्यारा था।
वो नादाँ बचपन कितना प्यारा था।।

मूलाराम माचरा
शिक्षक
बायतू,जिला-बाड़मेर
राजस्थान

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