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श्रम साधक shram sadhak

श्रम साधक 

सतत ये दौड़ है ,
मंजिल की ओर है ,
क्षण भर को आराम नहीं, 
श्रम साधक को विश्राम नहीं। 
कठिन है राह, 
अटूट है चाह, 
रुकने का अब काम नहीं, 
श्रम साधक को विश्राम नहीं। 
चलते जाना है, 
दूर ठिकाना है, 
लक्ष्य-भेद से पूर्व इतमीनान नहीं, 
श्रम साधक को विश्राम नहीं। 
मंजिल पाऊंगा, 
प्रण निभाऊंगा,
सांसों को 'सुजल' विराम नहीं, 
श्रम साधक को विश्राम नहीं। 
सुजल
ब्रह्मानंद गर्ग "सुजल "
भाडली, जैसलमेर(राज)

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