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ग़लत नहीं, ग़लत होने के कारण

ग़लत नहीं, ग़लत होने की कारण 

बात है कुमारपाड़ापुर की झील रोड की , बंगाराम, तोताराम,अंतिमराम, तीनों
भाई में से बंगाराम बड़े थे, तीनों संग- संग स्कूल आया-जाया करते थे, बंगाराम आठवीं ,तोताराम सातवीं और अंतिमराम दूसरी कक्षा में पढ़ते थे, बंगाराम बड़े शांत स्वभाव के थे ,जब बंगाराम आठवीं कक्षा पास कर लिए, तब
बंगाराम के सामने एक संकट छा गया, बंगाराम जिस नेहरू जी के स्कूल में पढ़ते थे ,वह विद्यालय आठवीं तक ही था ,बंगाराम नौवीं कक्षा में नामांकन
करवाने के काफी कोशिश किया ,पर सब व्यर्थ गया, कोई भी स्कूल के नवीं कक्षा में सीट ही नहीं थी , या और कारण रहा होगा, इसके नामांकन के लिए
मात-पिता भी परेशान रहते थे , अंत में पिता किसी से कह सुनकर नामांकन नवीं में न करवाकर पुनः आठवीं में हावड़ा हिन्दी हाई स्कूल में करवां दिये, वह विद्यालय बारहवीं तक रहा, पर फिर से आठवीं में नामांकन करवाने के कारण बंगाराम गलत रास्ते पर चलने लगते हैं, वह दिन- रात सोचने लगता है , सोचता है पढ़ाई लिखाई करूं ,या न करूं ,बंगाराम धार्मिक,विक्रम बजरंगी हनुमान व मां सरस्वती जी के पूजा पाठ बचपना से ही करते थे ,अंत में वे ईश्वर से प्रार्थना किये , हे ! भगवान तूने ये क्या किया, मेरे साथ पढ़े सहपाठी आगे हम फिर से आठवीं में पढ़ूं हमसे नहीं होगा ,

वह यह निर्णय लेकर ग़लत रास्ते पर चलने लगा , वह घर से  निकलता विद्यालय के लिए पर विद्यालय जाता नहीं, वह ट्रेन से इधर-उधर घूमने लगा था, कैसे न घूमता , विद्यार्थियों का तो रेल का टिकट लगता ही नहीं था, इसके बारे में उसके माता-पिता को पता भी नहीं चलता था, क्योंकि वह स्कूल के समयानुसार ही आया-जाया करता था ,पर एक दिन उसका गांव का प्रकाश- रोशन भईया देख लिया, रेलवे स्टेशन पर ! , पर उससे कुछ न कहा, वह सीधे उसके पिता के पास फोन किया, बोला चाचा बंगाराम को आज घूमते हुए देखें है स्टेशन पर, फिर क्या रात में पिता के दफ़्तर से आते ही , पिता से पहले ही सारी बातें बता दिया, क्योंकि अपने गांव वाला को स्टेशन पर वह भी देखा रहा , और कहा पापा हम पांच महीने में सिर्फ पन्द्रह ही दिन स्कूल गये होंगे, पिताजी अब हममें हिम्मत नहीं है कि फिर से आठवीं की पढ़ाई करूं, तब ही मां बोली बेटा तुम तो जानते ही हो तुम भी और पिता भी तुम्हारे नौवीं कक्षा में नामांकन करवाने के लिए भरपूर कोशिश किया ,पर हुआ नहीं न, क्या करोगें बेटा एक साल की बात है पांच महीने बीत ही गये अच्छा से पढ़ाई कर लो मजबूत हो जाओगे ! उसी वक्त बंगाराम बोलने लगा , मां आप समझती नहीं हों , आप एक साल कह दिये , यहां लोग एक दिन ज़्यादा या कम होने के कारण सरकारी नौकरी के फॉर्म नहीं भर पाते हैं और आप एक साल कहती हैं , पापा - पापा मेरे पास एक सुझाव है, यदि आप चाहें तो मेरा नामांकन नौवीं कक्षा में हो जायेगा, पिता वह कैसे अभी तो सितंबर हो गया, अभी नामांकन होता है क्या , कहां होता है कहो मैं जरूर पूरा करूंगा ! पापा एक स्कूल हैं , जिसमें मेरा नामांकन नौवीं में हो जायेगा , पर वह प्राईवेट है , तब ही पिता कहा कहो बेटा हम कैसे तुम्हें प्राईवेट में पढ़ा सकते , प्राईवेट स्कूल की फीस हर महीने सात-आठ सौ रुपया कहां से दें पायेंगे,  बोलो बेटा पापा सिर्फ एक बार आप कष्ट करिए, सिर्फ एडमिशन के लिए पच्चीस सौ रुपये दे दीजिए, उसके बाद आप जो हमें ट्यूशन पढ़ाते हैं , अब से  ट्यूशन नहीं पढ़ेंगे और उसी ट्यूशन के पैसों से स्कूल के फीस भरेंगे,

इस प्राईवेट स्कूल की ज्यादा फीस नहीं है , जैसा कहें पापा आप ,फिर क्या पिता ब्याज पर लाकर पैसे दे दिया , और बंगाराम का नामांकन नौवीं कक्षा में हो गया ,जब बंगाराम के बारे में ट्यूशन के सर को पता चला , तो बंगाराम को बुलाया और कहें तुम ट्यूशन पढ़ने आओगे , और चाहो तो तुम्हें हम अपने  ट्यूशन के कुछ बच्चों को पढ़ाने के लिए देते हैं, जिससे तुम अपने विद्यालय के फीस भर पाओगे ! इस तरह फिर बंगाराम सही रास्ते पर आ गया, दिन-रात मेहनत करने लगा, और अपने मंजिल के तरफ बढ़ने लगा !

शिक्षा :- कोई इंसान ग़लत नहीं होता हैं , ग़लत बनने का कुछ न कुछ कारण होता है, और वही कारण उसे गलत दिशा में ले जाकर गलत बना देता है !
अतः बिना जाने किसी को ग़लत कहना उचित नहीं है ! पहले कारण जानना चाहिए वह कैसे ग़लत हुआ ,हुआ तो उसे कैसे सही रास्ते पर लाया जाये !
                   धन्यवाद ! 
 
  रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज ,

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