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बारहा महामारी का तांडव जारी है फिर चाहे वो कोई सा मुल्क हो। shiksha (शिक्षा)

शिक्षा 


बारहा महामारी का तांडव जारी है फिर चाहे वो कोई सा मुल्क हो। 

तमाम मुल्क अपनी अपनी काबिलियत और सहुलियत के हिसाब से इस विकट स्थिति से निपटने के प्रयासों में लगे हुए हैं। परंतु अभी तक इससे पार नहीं पाया जा सका है। जहां तक बात भारत की हो तो देश पूरी ताकत से इस जंग को जीतने की कोशिश में लगा हुआ है और उसी कड़ी में फिलहाल लॉकडाउन अवधि बढ़ा दी गई है। बाकी तमाम तरह की परेशानियां अपनी जगह है मगर शिक्षा की दृष्टि से ये समय बड़ा हानिकारक साबित हुआ है। बोर्ड की परीक्षाएं जहां बीच में स्थगित करनी पड़ी वही अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी क्रमोनत करना पड़ा है। शिक्षा की दृष्टि से देखा जाएं तो विद्यार्थी अपनी कक्षा का पाठ्यक्रम संपूर्ण नहीं कर पाए हैं और उन्हें आगामी कक्षा में बैठना है। संपूर्ण पाठ्यक्रम और परीक्षा उपरांत ही विद्यार्थी आगामी कक्षा के लिए मानसिक और बौद्धिक रूप से तैयार हो पाते हैं परंतु इस बार ये प्रक्रिया अधुरी रह गयी। ऐसे में शिक्षकों, अभिभावकों,शैक्षिक संस्थानों और विद्यार्थी स्वयं की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। अभिभावकों को चाहिए कि वे घर पर अपने बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखे। 
बारहा अब आगामी सत्र के हिसाब से सारी रणनीति बनाई जाएं। जिसकी तैयारी अभी से शिक्षा विभाग को प्रारंभ करनी चाहिए। ताकि समय पर आगामी सत्र प्रारंभ होते ही विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएं।ताकि समय पर अध्ययन प्रक्रिया प्रारंभ हो सके। 
चूंकि लॉकडाउन की वजह से मध्यम वर्ग और आम जनता विकट हालातों में फंसे हुए हैं। लोगों का रोजगार ठप्प है आय के स्रोत बंद है। दैनिक मजदूरी करने वाले कामगारों की हालत और भी दयनीय है। आर्थिक हालात विकट होते जा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि आम नागरिकों और विद्यार्थियों के हित को देखते हुए ठोस कदम उठाने चाहिए। 
इस समय जरुरत है कि विद्यार्थियों की स्कूल फीस माफ की जाएं और नीजी स्कूलों को विशेष हिदायत दी जाए कि वे 3 महीने की फीस माफ कर दें। साथ ही सभी विद्यार्थियों को स्कूल बैग, यूनिफार्म और स्टेशनरी भी मुफ्त वितरण की जाएं। किसी भी तरह की आर्थिक समस्या के कारण शिक्षा और शिक्षार्थी का नुकसान ना हो पाए ये सुनिश्चित किया जाएं। शिक्षा ही समाज और राष्ट्र के उत्थान का मुख्य आधार होती है अत: इस ओर सर्वप्रथम और सर्वोच्च रणनीति बनाई जानी और उसे क्रियांवित किया जाना बेहद जरुरी है। शिक्षकों को चाहिए कि ऐसी डिजीटल अध्ययन सामग्री तैयार करें जो इस समय शिक्षार्थियों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकें। इस और किए जा रहे राजस्थान सरकार के प्रयास सराहनीय है। प्रदेश में इस समय छात्र "स्माइल" कार्यक्रम के तहत अॉनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं।
और साथ ही शिक्षा विभाग ने अॉनलाइन सामग्री तैयार करने के लिए शिक्षकों से सुझाव भी मांगे हैं। सभी को चाहिए कि इस चुनौती के अवसर पर शिक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें। 

ब्रह्मानंद गर्ग
अध्यापक
जैसलमेर(राज)

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