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हमीद कानपुरी के ग़ज़ल

ग़ज़ल


वो कभी  मार  से नहीं  होता।
काम जो  प्यार से नहीं  होता।

आज तकनीक़ का ज़माना है,
वार तलवार  से   नहीं  होता।

घाव होता जो लफ़्ज़ से  यारो,
घाव  तलवार  से  नहीं  होता।

घाव करते  हैं फूल  गहरा जो,
घाव वो  खार से  नहीं  होता।

काम  पूरा  हमीद  वो   करते,
काम जो चार  से  नहीं होता।

हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
वरिष्ठ प्रबंधक ,सेवानिवृत्त,
पंजाब नेशनल बैंक,
मण्डल कार्यालय, कानपुर

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