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कोरोना वॉरियर महिला शिक्षका सरिता चौधरी के जज्बे के आगे कोरोना हारेगा,देश जीतेगा

कोरोना वॉरियर महिला शिक्षका सरिता चौधरी के जज्बे के आगे कोरोना हारेगा,देश जीतेगा


वैश्विक महामारी कोरोना इन दिनों पूरे शबाब पर है,केंद्र व राज्य सरकार कोरना से बचाव के तमाम प्रयास कर रही है।चिकित्सा विभाग,पुलिस, सफाई कर्मी व शिक्षक वर्ग सहित तमाम सरकारी प्रशासनिक अमला इन दिनों इस महामारी से निजात पाने में लगा हुआ है।वहीं राजस्थान के राजसमन्द जिले के काडा के स्थित राजकीय विद्यालय में कार्यरत महिला शिक्षिका सुश्री सरिता चौधरी लभगभ पिछले दो माह से कोरोना योद्धा के तौर पर मैदान में डटी हुई है।बकौल सरिता चौधरी वो ग्राम प्रभारी के रूप में घर-घर सर्वे करने,लोगों के स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग करने,बाहर से आये लोगों को होम क्वारेण्टाइन करने,लोगों को कोरोना से बचाव संबंधी दिशा निर्देश देने,सोशल डिस्टेंस रखने व घर मे ही रहने की सलाह देने का काम निरन्तर कर रही है।इतना ही नहीं दिन भर फील्ड में ड्यूटी के बाद वो शाम को निवास पर स्वयं सीलकर लोगों के लिए मास्क तैयार करती है आज तक 1000 मास्क लोगों को बांट चुकी है।मास्क हेतु कपड़ा वो भामाशाहों की मदद से जुटाती है।इनका कार्यक्षेत्र आदिवासी बाहुल्य वाला गांव है जहां अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूर है लोक डाउन की वजह से लोगों के सामने खाने-पीने का संकट भी व्याप्त हो गया,इस विकट समस्या में गांव वालों के लिए स्वयं-सेवी संस्थाओं व स्थानीय प्रशासन के साथ ही अन्य माध्यमों से मदद ले लगभग एक सौ पचास से अधिक परिवारों को राशन सामग्री निःशुल्क वितरित की।

इतना ही नहीं स्वछता का ख्याक रखते हुए इन्होंने 100 से अधिक परिवारों को स्वयं के स्तर पर डेटॉल साबुन भी मुफ्त बांटे।एक तरफ जहां कर्मचारी किसी न किसी बहाने छुट्टी की तलाश में रहते है वहीं शिक्षिका सरिता चौधरी पिछले दो माह से कोविड19 से बचाव कार्य मे ड्यूटी पर होने के बावजूद जब रोटेशन के आधार पर अन्य कार्मिकों की ड्यूटी लगाने व पहले से ड्यूटी कर रहे कार्मिकों को रिलीफ देने की बारी आई तो सरिता चौधरी ने ग्रीष्मकालीन अवकाश में भी जनसेवा में अपनी ड्यूटी निरन्तर रखने हेतु अपने उच्चाधिकारियों के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया जिनसे उनके काम के प्रति लगाव को देखते ड्यूटी को निरन्तर रखा गया।इनके काम को देखते अधिकारी भी इनकी प्रशंसा करते नहीं थकते।एक बेहतरीन शिक्षिका के तौर पर काम करते हुए आप कई बार ब्लॉक,जिला व राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुकी है।ये मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानती है व उन्ही के पद-चिन्हों पर चलते हुए बचपन से ही पक्षियों को दाना-पानी देने के कार्य करती आई है व आज जनसेवा को अपना फर्ज मानती है।बात जब इस आपदा की हो तो निजी कार्य व घर-परिवार से दूर रहकर भी ये शिक्षिका देश को इस आपदा से बचाने में लगी है इनका मानना है कि एक दिन हम सब मिलकर कोरोना को हरा देंगे व देश जीतेगा।जीतेगा भी क्यों न जब सरिता चौधरी जैसे अनेक शिक्षक,चिकित्सक,पुलिस कर्मी व सफाई कर्मी जज़्बे के साथ कोरोना से बचाव में लगे हुए हैं।बस जरूरत है तो कुछ और सरिता चौधरी जैसी कर्मठता,संजीदगी व कभी हार न मानने की अटल इच्छाशक्ति वाले कार्मिकों के आगे आने की व ऐसा हो भी रहा है अनेक जनसेवक आगे आ भी रहें है जो सुकून दायक बात है।
  मूलाराम माचरा
       शिक्षक
बाड़मेर(राजस्थान)

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